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बेटा मानसिक तौर से बीमार- मां किडनी रोग से परेशान,डायलिसिस को लेकर नखरों ने कर दिया हाल-बेहाल
रविंद्र चौधरी/ फतेहपुर। कोरोना काल ( Corona era) में अस्पतालों में चिकित्सीय सुविधाओं की कमियां भी उजागर हुई है। जिला कांगड़ा के फतेहपुर उपमंडल के तहत स्थाना की रहने वाली शशि बाला पत्नी सोनी कुमार ने चिकित्सा सुविधा को लेकर सिविल अस्पताल नूरपुर ( Civil Hospital Nurpur) को कटघरे में खड़ा किया है। शशि बाला का आरोप है कि वह किडनी रोग से पीड़ित है ,उसे हर हफ्ते डायलिसिस( Dialysis) करवाने जाना पड़ता है। जब भी वह डायलिसिस करवाने सिविल अस्पताल नूरपुर में जाती है तो उनको वहां से बैरंग वापस लौटा दिया जाता है। महिला का आरोप है कि हर बार कोई ना कोई बहाना लगाकर घर भेज दिया जाता है। ब्लड बैंक( Blood bank) से ब्लड लेकर आते हैं तथा डायलिसिस ना होने के कारण ब्लड खराब हो जाता है।
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पीड़िता ने बताया कि उसकी हालत खराब है, बड़ा बेटा मानसिक तौर से ठीक नहीं है तथा आय का कोई साधन नहीं है। गरीब होने के कारण डायलिसिस करवाने निजी अस्पताल में जा नहीं सकती। पीड़िता शशि बाला की बेटी लक्ष्मी ने भी अस्पताल में चिकित्सा सुविधा को लेकर सवालिया निशान लगाए हैं। उन्होंने कहा कि जब भी नूरपुर अस्पताल में डायलिसिस करवाने पहुंचते हैं तो कभी बिजली ना होने, तो कभी पानी ना होने का बहाना लगाया जाता है और अगर बिजली, पानी हो तो कहा जाता है कि मात्र दो घंटे ही डायलिसिस को मिलेंगे जबकि डायलिसिस की प्रक्रिया चार घंटे तक चलती है। उन्होंने कहा कि आक्सीजन की भी सुविधा नहीं मिल पाती है। बिजली, पानी की व्यवस्था करना तो अस्पताल प्रशासन की जिम्मेदारी है लेकिन उनकी लापरवाही का खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उन्होंने सरकार से गुहार लगाई है कि सरकार उनकी सुध लें तथा अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था को भी चैक करे।
उधर, एसएमओ नूरपुर डॉ दिलबर सिंह ने कहा कि डायलिसिस करने वाली एक इंडिपेंडेंट एजेंसी है, जिसको अस्पताल में रूम दिया गया है। बाकी ऐसी कोई दिक्कत नहीं है। पानी की समस्या तो तीन-चार दिन से चल रही थी जिसके बारे में एसडीएम नूरपुर को भी अवगत करवाया गया था।
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