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अब ऐसे होगी आधार वेरिफिकेशन, जान लें, नहीं तो हो सकती है परेशानी
हमारे देश में आधार कार्ड एक अनिवार्य दस्तावेज है। यूआईडीएआई समय-समय पर आधार से संबंधित जानकारियां देती रहती है। अब सरकार ने आधार कार्ड को लेकर एक नया नियम बना दिया है। इस नए नियम के तहत आप अपने आधार कार्ड (Aadhaar Card) की बिना इंटरनेट वेरिफिकेशन कर सकेंगे।
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गौरतलब है कि आधार की वेरिफिकेशन के लिए अब आपको डिजिटल तौर पर हस्ताक्षर किया दस्तावेज देना होगा। ये डिजिटली साइन्ड दस्तावेज आधार की सरकारी संस्था यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया की ओर से जारी होना चाहिए। इस दस्तावेज पर यूजर के आधार नंबर के अंतिम चार अक्षर दिए होते हैं। इस नए नियम के अनुसार, आधार कार्ड
धारक को एक विकल्प दिया जाता है कि वे आधार ई-केवाईसी वेरिफिकेशन के प्रोसेस के लिए अपना आधार पेपरलेस ऑफलाइन e-kyc को किसी अधिकृत एजेंसी को दे सकता है। जिसके बाद एजेंसी आधार कार्ड धारक की ओर दिए गए आधार संख्या और नाम, पता आदि को सेंट्रल डेटाबेस के साथ मिलान करेगा। अगर मिलान सही पाया जाता है तो वेरिफिकेशन की प्रक्रिया आगे बढ़ा दी जाती है।
Verify any #Aadhaar number presented to you from https://t.co/nMDmmFGSqR.
This confirms if the given 12-digit number is a valid Aadhaar.
For more details, visit https://t.co/iP7Yj11qn8#UIDAI pic.twitter.com/2nnCV2IsVQ— Aadhaar (@UIDAI) May 31, 2022
बता दें कि आधार पेपरलेस ऑफलाइन ई-केवाईसी का मतलब उस डिजिटली साइन्ड दस्तावेज से है, जो यूआईडीएआई की ओर से जारी किया जाता है। इस दस्तावेज में आधार नंबर के अंतिम 4 अक्षर, लिंग, नाम, पता, जन्मतिथि और फोटो की जानकारी होती है। ये नया नियम आधार कार्ड धारक को ये अधिकार देता है कि वे वेरिफिकेशन एजेंसी को कोई भी ई-केवाईसी डाटा स्टोर ना करने के लिए मना कर सकता है।
नियमों के अनुसार, यूआईडीएआई निम्नलिखित प्रकार की ऑफलाइन वेरिफिकेशन सेवाएं देगा, जैसे कि क्यूआर कोड वेरिफिकेशन, आधार पेपरलेस ऑफलाइन ई-केवाईसी वेरिफिकेशन, ई-आधार वेरिफिकेशन और ऑफलाइन पेपर आधारित वेरिफिकेशन। ऑनलाइन आधार वेरिफिकेशन के लिए होल्डर्स के पास कई अन्य मौजूदा सिस्टम हैं।
ऐसे होगी आधार वेरिफिकेशन
आधार कार्ड की ऑनलाइन वेरिफिकेशन के लिए आधार कार्ड धारकों के पास कई अन्य मौजूदा सिस्टम हैं। आधार वेरिफिकेशन के विभिन्न तरीके निम्नलिखित हैं, जो ऑफलाइन विकल्पों के साथ मिलते हैं, जैसे कि डेमोग्राफिक ऑथेंटिकेशन, वन-टाइम पिन आधारित ऑथेंटिकेशन, मल्टी फैक्टर ऑथेंटिकेशन और बायोमेट्रिक आधारित ऑथेंटिकेशन।