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तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने बेलारूस के एलेस बियालियात्स्की को दी हार्दिक बधाई
धर्मशाला। इस वर्ष के नोबेल शांति पुरस्कार के विजेताओं की घोषणा के बाद तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा ने बेलारूस से एलेस बियालियात्स्की (Ales Bilyatsky from Belarus) को अपनी हार्दिक बधाई व्यक्त करते हुए एक संदेश जारी किया है। तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा (Tibetan spiritual leader Dalai Lama) ने अपने संदेश में लिखा है कि मैं स्वीकार करता हूं कि सभी मनुष्यों को अभाव से मुक्ति और भय से मुक्ति का अधिकार है। मानव अधिकार समावेशी, अन्योन्याश्रित और सार्वभौमिक हैं। दलाई लामा ने लिखा है कि उनके योगदान को मान्यता देकर नोबेल समिति ने शांति, स्वतंत्रता और लोकतंत्र के मौलिक मानवीय मूल्यों को बढ़ावा (Promote the fundamental human values of peace, freedom and democracy) देने में नागरिक समाज के महत्व पर स्पष्ट प्रकाश डाला है। उन्होंने लिखा है कि कुछ प्राकृतिक आपदाएं हैं और इन्हें स्वीकार किया जाना चाहिए। समभाव से सामना करना चाहिए अन्य हमारी गलतफहमी द्वारा बनाई गई हैं और ठीक किया जा सकता है। इन समस्याओं में से कुछ वे समस्याएं है जो राजनीतिक और धार्मिक विचारधारा (political and religious ideology) के संघर्ष से उत्पन्न होती हैं। जब लोग एक-दूसरे के लिए एक-दूसरे से लड़ते हैं। बुनियादी मानवता की दृष्टि खो देते हैं जो हम सभी को एक मानव परिवार के रूप में एक साथ बांधता है।
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दलाई लामा ने लिखा कि आज लोकतंत्र के मूल्य, खुले समाज, मानवाधिकारों के प्रति सम्मान और समानता को सार्वभौमिक मूल्यों (Universal values of open society, respect for human rights and equality) के रूप में मान्यता प्राप्त हो रही है। लोकतांत्रिक मूल्यों और मानवीय अच्छाई के मूलभूत मूल्यों के बीच घनिष्ठ संबंध है। जहां लोकतंत्र है वहां नागरिकों के लिए अपने बुनियादी मानवीय गुणों को व्यक्त करने की अधिक संभावना है। जहां ये बुनियादी मानवीय गुण प्रबल होते हैं, वहां लोकतंत्र को मजबूत करने की अधिक गुंजाइश होती है। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि विश्व शांति सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र सबसे प्रभावी आधार (democracy is the most effective foundation) भी है। दलाई लामा ने लिखा कि दुनिया भर में संस्कृतियों और धर्मों की हमारी समृद्ध विविधता को सभी समुदायों में मौलिक मानवाधिकारों (fundamental human rights) को मजबूत करने में मदद करनी चाहिए। इस विविधता के मूल में बुनियादी मानवीय सिद्धांत हैं जो हम सभी को मानवता की एकता में एक साथ बांधते हैं। मानव अधिकारों का प्रश्न इतना मौलिक रूप से महत्वपूर्ण है कि इसके बारे में विचारों में कोई अंतर नहीं होना चाहिए।
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