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अनोखा विवाह: संविधान निर्माता को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंधे प्रवेश व निशा
नाहन। जिला सिरमौर के गिरिपार इलाके के सालवाला धमोन में प्रवेश और निशा की शादी चर्चा का विषय बन गई है। इन दोनों नव दंपति ने वैदिक परंपरा में एक और नया अध्याय जोड़ते हुए अपने जीवन के आदर्शों को साक्षी मानकर सात फेरे लिए। ये नव दंपति पंडित के बगैर भारत की प्रथम महिला अध्यापक सावित्रीबाई फूले और संविधान निर्माता डा. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर को साक्षी मानकर परिणय सूत्र में बंध गए। इन दोनों ने उन रूढ़िवादी परंपराओं में सुधार करते हुए समाज के उन प्रवर्तकों को साक्षी माना, जिन्होंने आधुनिक समाज में दिशा और दशा सुनिश्चित की है।
पत्नी ने सावित्रीबाई फूले तो पति ने बाबा आंबेडकर को बताया अपना आदर्श
निशा का मानना है कि एक समय ऐसा था जब महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। उन्होंने कहा कि सावित्रीबाई फूले एक ऐसी महान नेत्री थी, जिसने तमाम रूढि़वादी बंधनों को तोड़ते हुए न केवल महिलाओं को शिक्षा देने की ठानी, बल्कि खुद एक प्रथम महिला शिक्षा केंद्र की स्थापना भी की थी। वहीं, दूल्हे बने प्रवेश का मानना है कि समाज के उपेक्षित वर्ग को संविधान में समानता का दर्जा देकर बाबा भीमराव अंबेडकर ने जो न्याय हमें दिलाया है, उनसे बड़ा साक्षी और आदर्श कोई नहीं हो सकता।
नव दंपति के द्वारा लिए गए इस फैसले को लेकर सामाजिक कार्यकर्ताओं में बड़ी चर्चा भी चल रही है। इस फैसले को लेकर युवा वर्ग में भी काफी उत्साह देखने को मिल रहा है। प्रवेश सरकारी नौकरी करते हैं यही नहीं वे अपनी शिक्षा और सफलता का श्रेय भी बाबा साहब के आदर्शों को बताते हैं। निशा और प्रवेश की ये शादी सोशल मीडिया पर भी खूब वायरल हो रही है। इस विवाह में पूरे गाजे-बाजे के साथ बारात गई और लड़की वालों ने भी पूरी आवभगत की। बस दूल्हा-दुल्हन ने संविधान को साक्षी मानकर एक-दूसरे का हाथ थामा और बारात दुल्हन को ले कर लौट आई।