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पीडब्ल्यूडी ने बजट के बाद भी नहीं किए टेंडर, हिमाचल हाईकोर्ट ने मांगा जवाब
Last Updated on January 5, 2023 by sintu kumar
शिमला। सड़कों के रखरखाव के लिए बजट में वितीय प्रावधान होने के बावजूद भी टेंडर प्रक्रिया (Tender Process) जारी नहीं किये जाने पर हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने कड़ा संज्ञान लिया है। अदालत ने लोक निर्माण विभाग के सचिव से इस तरह के मामलों के बावत पूरी जानकारी एक सप्ताह में तलब की है। जनहित से जुड़े मुद्दे पर अदालत के समक्ष रखे गये तथ्यों के देखते हुए अदालत ने कहा कि सरकार भले ही ठियोग बाइपास निर्माण में हुई देरी को जस्टिफाई कर रही है लेकिन अदालत ने इसे अस्वीकर कर दिया।
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लोक निर्माण विभाग (PWD) द्वारा बरती जा रही सुस्ती पर न्यायमूर्ति तरलोक सिंह चौहान और न्यायमूर्ति विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने कड़ी प्रतिकूल टिप्पणी करते हुए कहा कि जिस बाइपास का निर्माण कार्य दो वर्ष में पूरा होना था, उसे साढ़े तीन वर्ष में भी पूरा नहीं किया जाना खेदजनक है। इस सड़क (Road) के लिए बजट में प्रावधान होने के बावजूद भी निर्माण कार्य में बेवजह देरी के कारण लोगों को हर दिन जाम की समस्या से जूझना पड़ रहा है और विभाग आंखें बंद पर बैठा है।
खंडपीठ ने अपने आदेश में कहा की प्रदेश में कई ऐसे महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट स्वीकृत हैं जिनके लिए बजट में वितीय प्रावधान किया गया है। इसके बावजूद भी निर्माण कार्य तो दूर अभी तक टेंडर प्रक्रिया भी जारी नहीं की है। ऐसा एक उदाहरण शिमला जिले के दुर्गम क्षेत्र डोडरा कवार के लिए सड़क की टारिंग और मेटलिंग के किये वितीय स्वीकृती के बावजूद भी कोई काम नहीं हुआ। अदालत ने विभाग की खिंचाई करते हुए एक सप्ताह में इस तरह के सभी प्रोजेक्ट्स का ब्यौरा तलब किया है। इसके साथ ही विभाग को अवैध कब्जा धारियों को हटाने बारे पूरा ब्यौरा भी पेश करने के आदेश दिए हैं। इस मामले पर सुनवाई आगामी 12 जनवरी को निर्धारित की है।