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Jai Ram से बैठक के बाद धवाला ने किसको लिया आड़े हाथ- कही यह बड़ी बात- जानिए
Last Updated on June 11, 2020 by Sintu Kumar
शिमला। कांगड़ा (Kangra) जिला के मंत्रियों और विधायकों की सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) के साथ बैठक के बाद जवालामुखी के विधायक रमेश धवाला (Ramesh Dhawala) ने कहा कि पार्टी समय से जागरूक हुई है, अब बीजेपी सुदृढ़ होगी। अब एक साइड से किसी की बात को नहीं सुना जाएगा। दोनों तरफ से बात सुनी जाएगी। पारदर्शिता से काम होगा। उन्होंने कहा कि अगर सारे एमएलए (MLA) जीतेंगे तभी सीएम बनेगा। किसी एक एमएलए के साथ भी भेदभाव होता है तो वह पार्टी व संगठन के लिए घातक है।किसी का नाम लिए बगैर उन्होंने कहा कि संगठन का काम जोड़ना है तोड़ना नहीं है। ऐसे लोग जिनकी तारें कांग्रेस (Congress) के साथ भी हैं और बीजेपी के साथ भी हैं। जब बीजेपी की सरकार आती है तो बीजेपी के साथ हो जाते हैं और जब कांग्रेस की सरकार आती है तो कांग्रेस के साथ। अब ऐसे लोगों की पहचान होगी। गलत अफवाहें फैलाने वालों को पहचाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि शांता कुमार के बाद कांगड़ा जिला से कोई अध्यक्ष नहीं रहा है। अब कांगड़ा जिला से अध्यक्ष बनाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार और संगठन में तालमेल नहीं है। सरकार कुछ कर रही है तो संगठन कुछ और कर रहा है। ऐसे लोगों को डायरेक्टर बनाया गया है जिनकी कभी शक्ल नहीं देखी है। जवालामुखी में एक माह तक मंडल अध्यक्ष ही नहीं बनाया गया। जब वह नड्डा से मिले तो अध्यक्ष घोषित हुआ। उन्होंने कहा कि कांगड़ा ओबीसी काॅपरेशन में दस साल से उपाध्यक्ष की तैनाती नहीं हुई और बीजेपी सरकार के इस अढ़ाई साल के कार्यकाल में भी नहीं हो सकी। उन्होंने कहा कि मंत्री बनाना सीएम जयराम ठाकुर के अधिकार क्षेत्र में आता है।
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हालांकि रमेश धवाला ने किसी का भी नाम ना लिए बगैर उक्त निशाना साधा है। पर हम आपको बता दें कि कुछ माह पूर्व जवालामुखी में रमेश धवाला और संगठन मंत्री पवन राणा के बीच तीखी तकरार चली थी। यहां तक की मामला उस समय भी सीएम जयराम ठाकुर के पास पहुंचा था। कुछ लोगों ने धवाला की शिकायत सीएम जयराम ठाकुर से की थी, वहीं धवाला ने भी अपना पक्ष सीएम जयराम ठाकुर के समक्ष रखा था। इसके बाद मंडल चुनाव में भी गुटबाजी देखने को मिली थी। गुटबाजी के चलते चुनाव रानीताल रेस्ट हाउस (Rest House) में हुए थे। ऐसे में ऐसे कयास लगाए जा रहे हैं कि कांगड़ा के मंत्रियों और विधायकों की बैठक में जवालामुखी का मुद्दा भी उठा है। अब दोबारा मामले को सुलगने से पहले उसे ठंडा करने का प्रयास किया गया है।