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सेब पैकिंग सामग्री के दामों में 25% की बढ़ोतरी, महंगे मिलेंगे कार्टन और ट्रे
शिमला। कोरोना (Corona) काल में पिछले वर्ष के कटु अनुभवों के बावजूद भी प्रदेश सरकार सेब (Apple) सीजन की तैयारियों को लेकर बिल्कुल भी गंभीर नहीं है। यह बात पूर्व मुख्य संसदीय सचिव व जुब्बल नावर कोटखाई के पूर्व विधायक रोहित ठाकुर (Rohit Thakur) ने कही। उन्होंने कहा कि सरकार के हस्तक्षेप के अभाव व कोरोना की आड़ में कार्टन फैक्ट्रियों ने पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सेब पैकिंग सामग्री (Packing Material) के दामों में 25 फीसदी तक बढ़ोतरी कर ली है, जिससे अब बागवानों को प्रति पेटी कार्टन और ट्रे पर 25 से 30 रुपये अतिरिक्त देने पड़ेंगे। रोहित ठाकुर ने कहा कि कार्टन (Carton) व ट्रे के दाम में कोई बढ़ोतरी ना होने का बाग़वानी मंत्री का बयान जनता को गुमराह करने वाला है या मंत्री इस सच्चाई से परिचित नहीं हैं। रोहित ठाकुर ने कहा कि सरकार ने अपने स्तर पर कार्टन और ट्रे के टेंडर तो आमंत्रित कर दिए, लेकिन अभी तक इन्हें अंतिम रूप नहीं दिया गया, जबकि कुछ दिन में ही कम ऊंचाई वाले स्थानों में अर्ली वैरायटी के सेब का तुड़ान शुरू हो जाएगा और स्टोन फ्रूट (Stone Fruit) यानी गुठलीदार फल का सीजन जोरों से चला हुआ हैं।
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सेब की बागवानी को 254 करोड़ का हुआ नुकसान
रोहित ठाकुर ने कहा कि उपरी शिमला (Shimla) में ओलावृष्टि और तूफान का क्रम रुकने का नाम नहीं ले रहा। तूफान से सेब सहित अन्य फसलों के साथ-साथ घरों व गौशालाओं को भारी नुकसान पहुंचा है। उन्होंने सरकार से ओलावृष्टि और तूफान से प्रभावित किसानों को अविलम्ब राहत देने की मांग की है। इसके पहले अप्रैल माह में भी बेमौसमी बर्फबारी (Snowfall) और ओलावृष्टि से सरकारी आंकलन के अनुसार सेब की बागवानी को 254 करोड़ का नुकसान हुआ है, जिसकी भरपाई के लिए सरकार ने कोई भी कार्रवाई नहीं की है। रोहित ठाकुर ने कहा कि पूर्व कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में बागवानी क्षेत्र में क्रांति लाने के लिए विश्व बैंक (World Bank) द्वारा वित्त पोषित 1,134 करोड़ रुपये का बागवानी विकास प्रोजेक्ट जनता को समर्पित किया गया था, लेकिन बीजेपी सरकार के उदासीन रवैए के चलते पिछले 3 वर्ष में प्रोजेक्ट के तहत मात्र 296 करोड़ रुपये ही खर्च हुए हैं, जोकि स्वीकृत प्रोजेक्ट राशि का मात्र 26 फीसदी है।
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कृषि क्षेत्र का प्रदेश की विकास दर में 13 फीसदी का योगदान
कोरोना महामारी की दूसरी लहर ने प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले कृषि क्षेत्र को प्रभावित किया हैं। उन्होंने कहा कि पिछले वर्ष कोरोना काल में जहां हर क्षेत्र ने पूरी तरह से घुटने टेक दिए थे, वहीं किसानों की कड़ी मेहनत और इच्छाशक्ति से कृषि (Agriculture) और बागवानी क्षेत्र (Horticulture Area) मजबूती से खड़ा रहा। कृषि क्षेत्र का प्रदेश की विकास दर में 13 फीसदी का योगदान है, जबकि प्रदेश की 70 फीसदी जनता को भी इस क्षेत्र में रोजगार मिलता है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के कृषि क्षेत्र में सर्वाधिक 5,000 करोड़ रुपये की आर्थिकी पैदा करने वाली नकदी फसल सेब की मुख्य भूमिका हैं।
सेब सीजन से पहसे सुधारी जाए सड़कों की हालत
रोहित ठाकुर ने कहा कि सेब बाहुल्य क्षेत्रों के ग्रामीण इलाकों में सड़कों की हालत दयनीय बनी हुई है और वहीं ठियोग-हाटकोटी सड़क योजना (Theog-Hatkoti Road Plan) में पिछले 4 वर्षो से मात्र 8 प्रतिशत शेष निर्माण कार्य भी पूरा नहीं हो पाया। उन्होंने कहा कि सरकार सेब सीज़न से पहले ग्रामीण इलाक़ों की सड़कों को युद्ध स्तर पर सुधारे व ठियोग-हाटकोटी सड़क योजना के लंबित पड़े निर्माण कार्य में भी तेजी लाए। रोहित ठाकुर ने कहा कि पेट्रोल (Petrol) और डीज़ल के दाम 100 का आंकड़ा पार कर चुके हैं, जिसके चलते कृषि क्षेत्र में लागत बढ़ती जा रही है। उन्होंने प्रदेश सरकार से एमआईएस (MIS) के तहत किसानों और बाग़वानों की पिछले तीन वर्ष से लंबित पड़ी 28 करोड़ की बकाया राशि को बिना किसी देरी से जारी करने का आग्रह किया है। रोहित ठाकुर कि कहा कि सेब पर लागत बढ़ने से मंडी मध्यस्थता योजना के तहत सेब पर इस वर्ष समुचित समर्थन मूल्य भी बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार उद्यान विभाग में रिक्त पड़े पदों को प्राथमिकता के आधार पर भरा जाए।
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