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आपदा पर हंगामा; सत्ता और विपक्ष में तीखी नोंक-झोंक, उठे गंभीर सवाल
शिमला। हिमाचल प्रदेश पर आई आपदा (Himachal Rain Disaster) के मुद्दे पर मंगलवार को राज्य विधानसभा के मॉनसून सत्र (Monsoon Session Of Himachal Vidhansabha) में सत्ता और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक हुई। नियम 102 के तहत पारित संकल्प पर चर्चा के दूसरे दिन सत्तापक्ष और विपक्ष के सदस्यों ने जोरदार नारेबाजी की, जब कांग्रेस विधायक सुंदर ठाकुर ने केदारनाथ और भुज त्रासदी में तत्कालीन यूपीए सरकार के आंकड़े पेश करते हुए कहा कि केंद्र सरकार ने अभी तक हिमाचल की कोई मदद नही की है। इस दौरान विपक्ष ने भारी शोरगुल (Ruckus In House) किया जिसका सत्तापक्ष ने भी शोरगुल से ही जबाब दिया। बाद में विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया के दखल से स्थिति शांत हुई। इसी दौरान नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने आरोप लगाया कि कांग्रेस झूठ बोलकर सत्ता में आई है और कांग्रेस सरकार ठगों की सरकार है। उन्होंने कहा कि सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने हिमाचल को तबाह करके रख दिया है।
इमारतों की बीमा नीति बनाए सरकार
चर्चा में भाग लेते हुए निर्दलीय होशियार सिंह ने कहा कि हिमाचल में किसी भी सरकारी या निजी इमारत का बीमा (Insurance of Buildings) नहीं हैं। उन्होंने कहा कि अगर सरकार ने बीमा किया होता तो सरकार को इतना पैसा नहीं देना पडता। उन्होंने कहा कि शिमला बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं राह गया है। अगर यहां रिक्टर स्केल पर 5 से अधिक की तीव्रता का भूकंप आया कुछ नहीं बचेगा। सरकार को बीमा नीति लानी होगी कि यहां से कार्यालयों को प्रदेश में अलग-अलग जगहों पर शिफट किया जाए।
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बांधों पर सरकार का कितना नियंत्रण है?
होशियार सिंह ने कहा कि जियोजिकल डिपार्टमेंट (Geological Department) क्या कर रहा है। उससे डाटा मांगा जाए, जहां निर्माण होना है कि वहां की मिट्टी कैसी है, वह कितना भार उठा सकती है। इसके विश्लेषण के बाद ही मकान बनाने की इजाजत दी जाए। उन्होंने हिमाचल में बांधों पर सरकार के नियंत्रण (Govt Control Over Dams )पर भी सवाल उठाए। उन्होंने पूछा कि सरकार बताए कि पौंग डैम (Pong Dam) पर उनका क्या कंट्रोल है। पौंग डैम से पानी छोडे जाने के बाद फतेहपुर और इंदौरा जलमग्न हो गया। अभी तक डैम प्रबंधन पर कोई भी एफआईआर दर्ज नहीं की गई है।
ईगो लेकर न चलिए सरकार
रणधीर शर्मा ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि सरकार ने जो ईगो आपदा में रखी है, वह नहीं रखनी चाहिए। उन्होंने कहा कि जब आपदा आई तो सरकार गंभीर नहीं थी। सीएम सर्वदलीय बैठक बुलाते और उसके बाद एक साथ दिल्ली जाते। उन्होंने कहा कि जब मंत्री जिलों में जाकर आपदा प्रबंधन की बैठक लेते हैं तो एक भी विधायक को नहीं बुलाया जाता। बिलासपुर में बैठक हुई लेकिन कोई जीता हुआ विधायक नहीं आया और हारे हुए नेताओं के साथ बैठकें की गई।