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बिलकिस बानो के दोषियों की रिहाई पर SC सख्त, सरकार को नोटिस किया जारी
गुजरात दंगों के दौरान गैंगरेप की शिकार हुईं बिलकिस बानो (Bilkis Bano) के 11 दोषियों को रिहा करने का मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तीखी टिप्पणी की है। अदालत ने केंद्र सरकार और गुजरात सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की अब दो हफ्ते बाद सुनवाई करने का फैसला लिया है।
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बता दें कि गुरुवार को दोषियों को रिहा करने के खिलाफ दायर याचिका में अदालत ने कहा कि हमें ये देखना होगा कि दोषियों की रिहाई के फैसले में दिमाग की इस्तेमाल किया गया या नहीं। जबकि, अदालत ने दोषियों की रिहाई का आदेश नहीं दिया था। अदालत ने सरकार को सिर्फ अपनी रिहाई नीति के आधार पर विचार करने के लिए कहा था। कोर्ट ने इस मामले में रिहा हुए 11 दोषियों को भी पार्टी बनाने को कहा है।
जानकारी के अनुसार, बिलकिस बानो के केस की सुनवाई के दौरान दोषियों के वकील ने अदालत से तर्कों को सुनने की गुजारिश की थी। वकील ने कहा था कि पहले ये देखा जाए कि याचिका सुनवाई योग्य है या नहीं, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने ऐसा करने से इनकार कर दिया था।
बता दें कि साल 2002 में गोधरा ट्रेन में आगजनी की घटना के बाद भड़की हिंसा के दौरान बिलकिस बानो के साथ ऐसा हुआ था। बिलकिस के साथ जब गैंगरेप किया गया उस समय वे 21 साल की थी और 5 महीने की गर्भवती भी थी। इस दौरान उनके परिवार के कई लोगों की हत्या कर दी गई थी, जिसमें उनकी 3 साल की बेटी भी शामिल थी।
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वहीं, 15 अगस्त, 2022 को इस मामले में 11 दोषियों को गोधरा उप जेल से रिहा किया गया। गुजरात सरकार ने इन दोषियों को माफी नीति के तहत रिहाई को मंजूरी दी। इन दोषियों ने जेल में 15 साल की सजा पूरी कर ली थी। 21 जनवरी, 2008 को मुंबई में सीबीआई की स्पेशल अदालत ने सभी 11 लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी। इन सभी दोषियों को बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप (Gangrape) करने और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या का दोषी ठहराया गया था। इसके बाद बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा।