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दुनिया को बढ़ती गर्मी से बचाने के लिए वैज्ञानिकों ने निकाला यह अनोखा तरीका
नेशनल डेस्क/ नई दिल्ली। जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के कारण दुनिया अब तक डेढ़ डिग्री से अधिक गर्म हो चुकी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन के लिए जिम्मेदार बढ़ती गर्मी को रोक पाना तब तक संभव नहीं है, जब तक ग्रीन हाउस गैसों का उत्सर्जन (Greenhouse Gases Emission) नहीं रोका जाता। लेकिन ऐसा हो पाना अब नामुमकिन सा लग रहा है। ऐसे में वैज्ञानिकों ने दुनिया को बढ़ती गर्मी (Increasing Heat) से बचाने के लिए कृत्रिम धुंध का सहारा लेने का अनोखा तरीका खोज निकाला है। हालांकि, यह तरीका मौसम के लिए खतरनाक और अनियंत्रित (Uncontrolled) भी हो सकता है। कोई नहीं जानता कि इस तरीके को अपनाने के बाद मौसम चक्र (Weather Cycle) किस तरह से प्रभावित होगा।
क्या है यह तकनीकमौसम
असल में यह तरीका कुछ वैसा ही है, जैसे धरती पर ज्वालामुखी फटने (Volcanic Eruption) पर उमड़ने वाला धूल, धुंए का गुबार वायुमंडल में एक पर्त बना देता है। यह पर्त लंबे समय तक और कभी तो सालों तक छाई रहती है। इससे सूर्य का प्रकाश (Sunlight) धरती पर ठीक तरह से आ नहीं पाता और तापमान गिर जाता है। लंबे समय तक बने रहने से धरती के तापमान में गिरावट आती है। इसी अवधारणा को वैज्ञानिक बढ़ती गर्मी का इलाज मान रहे हैं।
इन दो घटनाओं से निकला रास्ता
ज्वालामुखी फटने की दो घटनाएं साल 1815 में इंडोनेशिया और 1991 में फिलीपीन्स में हुई थी। दोनों ही बार ज्वालामुखी फटने के बाद कुछ सालों के लिए ग्लोबल टेम्प्रेचर (Global Temperature) में कमी दर्ज की गई थी। वैज्ञानिक इसी आइडिया का इस्तेमाल धरती के तापमान को कम करने के लिए करना चाहते हैं।
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इस तरह की होगी तकनीक
शोध बताते हैं कि अगर सूरज की गर्मी को एक फीसदी कम किया जा सका तो धरती की गर्मी एक डिग्री सेल्सियस तक कम हो जाएगी। यह सुनने में भले ही असंभव सा लगे, लेकिन जुटाए गए डेटा बताते हैं कि ऐसा करना असंभव नहीं है। इसके लिए वैज्ञानिक बहुत ऊंची उड़ान भरने वाले जेट्स के इस्तेमाल का प्लान बना रहे हैं। इन विमानों को काफी ऊंचाई पर ले जाकर कुछ ऐसे पदार्थ छोड़ दिए जाएं जो सूरज की गर्मी को धरती तक पहुंचने के असर को कम कर दें।
जोखिम कुछ कम होगा
शोध में दावा किया गया है कि इससे क्लाइमेट रिस्क (Climate Risk) को कम किया जा सकता है। बता दें लगातार बढ़ते तापमान के चलते धरती पर जीवन कठिन होता जा रहा है। गर्मी के चलते जहां इंसान पर विपरीत प्रभाव पड़ रहे हैं, वहीं सूखे और बाढ़ जैसे हालात भी पैदा हो रहे हैं। दुनिया भर में अलग-अलग प्रजातियां इसके चलते अपनी जगह भी बदल रही हैं।