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डाक्टरों की हरे या नीले रंग की पोशाकों के पीछे छिपा है यह गहरा राज, जानें यहां
हम जब भी बीमार पड़ते हैं तो अस्पताल (Hospital) जरूर जाते हैं। अस्पताल में आपने देखा होगा कि दीवारों के कलर (Colour) से लेकर नर्सों और डाक्टरों ने हरे, सफेद और नीले रंग की पोशाकें पहनी होती हैं। आपने कभी सोचा है कि वे इन्हीं रंगों का इस्तेमाल क्यों करते हैं। आइए आज हम आपको इन रंगों की अहमियत बताते है और डाक्टर और नर्सें (Nurse) इन्हीं रंगों की पोशाकें क्यों पहनते है, यह भी बताएंगे। सफेद रंग (White Colour) का इस्तेमाल करने के पीछा का कारण सरल और स्वभाविक है। हम सभी जानते हैं कि सफेद रंग स्वच्छता और शांति का प्रतीक है। इस वजह से अस्पतालों की दीवारें, डाक्टरों के कोट, चादर व तकिया आदि भी सफेद रंग के ही होते हैं, जिससे मरीज (patient) को वहां साफ-सुथरे वातावरण का अनुभव हो।
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मगर हरे और नीले के पीछे का कारण काफी रोचक और अनोखा है। आपको बताते चलें कि पहले डाक्टरों (Doctors) के स्क्रब सफेद ही हुआ करते थे। मगर दशक 1900 के शुरुआती सालों में डाक्टरों को समझ आया कि सफेद स्क्रब के क्या खतरे हैं। खून (Blood) के गहरे लाल रंग को लगातार देखते रहने के बाद अगर तुरंत सफेद रंग की पोशाक को देखा जाए तो कुछ पल के लिए आंखें चमक जाती हैं, बिल्कुल वैसे ही जैसे ठंड के दिनों में अचानक चारों ओर बर्फ (Ice) देखने से आंखें कुछ देर के लिए चमकने लगती हैं। डाक्टरों ने शिकायत की कि सर्जरी या ऑपरेशन के दौरान ज्यादा देर तक अपने साथी डाक्टरों को देखने से उनके सिर में गंभीर रूप से दर्द होने लगता है और आंखें (Eye) चमक जाने के कारण मरीज के ऑपरेशन में भी परेशानी आ सकती है।
इसके बाद से ही डाक्टरों ने हरे और नीले रंग (Blue Colour) के स्क्रब को पहनना शुरू किया। लाल रंग से नजरें हटाकर हरे या नीले रंग को देखने से आंखों को आराम मिलता है और जोर भी नहीं पड़ता। इसका कारण ये है कि सफेद रंग सारी लाइट को रिफ्लेक्ट कर देता है, जबकि हरा और नीला ऐसा नहीं करतें। लाल रंग के खून और हरे या नीले रंग की पोशाक को एक के बाद एक देखने पर कंट्रास्ट बन जाता हैए जिससे नजर पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता है।