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मंडी। इस वर्ष के अंतरराष्ट्रीय शिवरात्रि महोत्सव (Mandi Shivratri Festival) में तीन देवी-देवताओं के लंबे अंतराल के बाद आने से चार चांद लग गए हैं। श्री देवी बायला की गुसैण ने 99 वर्षों के बाद महोत्सव में अपनी हाजरी भरी है, जबकि देव मार्कंडेय ऋषि (Shree Dev Markandeya Rishi) ने 57 और देव अजय पाल ने 55 वर्षों के बाद शिवरात्रि महोत्सव (Shivratri Festival) में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाई है। श्री देवी बायला की गुसैण का मूल मंदिर सराजघाटी के जंजैहली में है। पुजारी पवन शर्मा ने बताया कि इस बार देवी ने शिवरात्रि महोत्सव में जाने का आदेश दिया जिसके बाद ही देवी के रथ को यहां लाया गया है। उन्होंने बताया कि देवी बायला की गुसैण ने लोगों को महामारी से राहत दिलाने की बात भी कही है और इसी मकसद से महोत्सव में आने की हामी भरी है। हालांकि देवी भविष्य में फिर से महोत्सव में आएंगी या नहीं इस पर अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं कहा जा सकता।
वहीं औट (Aut) तहसील के तहत आने वाले श्री देव मार्कंडेय ऋषि खमराधा ने 57 वर्षों के बाद महोत्सव में अपनी हाजरी भरी है। देवता के साथ आए कैलाश शर्मा और भगत राम ने बताया कि देवता अपने नीजि कारणों से 57 वर्षों तक शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने नहीं आए। हालांकि उन्होंने इशारों ही इशारों में राजाओं के समय की प्रथा और उसके बाद प्रशासन की व्यवस्था पर भी सवाल उठा दिए। लेकिन इन्होंने यह स्पष्ट किया कि अब देवता हर वर्ष शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने मंडी आएंगे।
द्रंग (Drang) क्षेत्र के तहत आने वाले कासला गांव के श्री देव अजय पाल भी 55 वर्षों के बाद शिवरात्रि महोत्सव में शामिल होने यहां आए हैं। देवता के साथ आए सतीश शर्मा और नवीन कुमार ने बताया कि राज दरबार बंद होने के बाद से देवता ने मंडी (Mandi) आना ही छोड़ दिया था। लेकिन जिला प्रशासन और देवता समिति (Committee) द्वारा लंबे समय से किए जा रहे आग्रह को स्वीकारते हुए देवता ने इस वर्ष से आने की हामी भरी है और अब भविष्य में देवता लगातार महोत्सव में शामिल होने आते रहेंगे।
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