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मानसून सत्र: विपक्ष के विरोध के बीच सरकार ने बढ़ाई कर्ज लेने की सीमा, विधेयक पारित
शिमला। हिमाचल विधानसभा (Himachal Vidhan Sabha) के मानसून सत्र के आज आखिरी दिन प्रदेश सरकार ने राज्य की कर्ज (Loan) लेने की सीमा को बढ़ाने का विधेयक (Bill) ध्वनि मत से पारित कर दिया। हालांकि विपक्ष ने इस पर ऐतराज जताया और नोकझोंक के बीच विधानसभा में यह एफआरबीएम अधिनियम संशोधन विधेयक ध्वनि मत से पारित किया गया। विपक्ष ने इसका विरोध करते हुए बीजेपी सरकार पर फिजूलखर्ची के आरोप लगाए। विपक्ष ने सरकार पर अधिकारियों के लिए मंहगी गाड़ियां खरीदने और सरकारी खजाने से पार्टी के कार्यक्रम आयोजित करने के भी आरोप जड़े। विपक्षी नेताओं द्वारा संशोधन में उठाए गए सवालों का जवाब देते हुए सीएम जयराम ठाकुर (CM Jai Ram Thakur) ने कहा कि कोविड महामारी के कारण वैश्विक अर्थव्यवस्था प्रभावित हुई है और हिमाचल प्रदेश भी इससे अछूता नहीं रहा है। उन्होंने राज्य की खराब वित्तीय स्थिति के लिए कांग्रेस को यह कहते हुएए जिम्मेदार ठहराया कि प्रदेश में अधिक समय तक कांग्रेस का शासन रहा है।
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सीएम ने सदन को अवगत करवाया कि वित्तीय वर्ष 2013-14 में राजकोषीय घाटा 4.23 प्रतिशत था जो वित्तीय वर्ष 2016-17 में 4.70 प्रतिशत पर पहुंच गया। जबकि हम इसे वित्तीय वर्ष 2021-22 में 2.99 पर लाने में कामयाब रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारी उधार सीमा अधिनियम के तहत तीन प्रतिशत तय की गई है, इसलिए हम इससे अधिक होने की स्थिति में संशोधन कर रहे हैं। इससे पहले सदन में पेश किए गए संशोधन पर चर्चा के दौरान विपक्ष के नेता मुकेश अग्निहोत्री (Mukesh Agnihotri) ने सरकार पर लग्जरी वाहन, हेलीकॉप्टर खरीदकर और मेगा इवेंट आयोजित कर फिजूलखर्ची करने का आरोप लगाया। अग्निहोत्री ने प्रदेश सरकार पर केंद्र की मोदी सरकार से कर्ज माफी या वित्तीय पैकेज लेने में विफल रहने का भी आरोप जड़ा और कहा कि बीजेपी नेताओं ने विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेश को कर्जमुक्त करने का दावा किया था। लेकिन आज स्थिति उल्टी है। नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि बीजेपी सरकार ने राज्य को दिवालिया होने के कगार पर धकेल दिया है, जिससे भविष्य में किसी भी सरकार के लिए राज्य की वित्तीय स्थिति में सुधार करना मुश्किल होगा।
मानूसन सत्र खत्म, 5 साल में हुई 140 बैठकें, इस बार विपक्ष ने 2 बार किया वॉकआउट
हिमाचल की 13वीं विधानसभा के सभी सदस्यों का सदन में शनिवार को अंतिम दिन रहा। 10 अगस्त से शुरू हुआ विधानसभा का मानसून सत्र (Monsoon session) 13 अगस्त को समाप्त हो गया। तीन दिन चले मानसून सत्र की कार्रवाईं 22 घंटे 40 मिनट्स चली। कोविड के चलते वर्ष 2020 का शीतकालीन सत्र नही हो पाया था। पांच सालों में 10 हज़ार 513 सूचनाएं प्राप्त हुई। इसके अलावा कुल 70 सरकारी विधयेक पुरःस्थापित किए गए। मौजूदा सरकार के पौने पांच साल के कार्यकाल में कुल मिलाकर 140 बैठकें पूरी हुई। सदन छोटा होने की वजह से विपक्ष सरकार को ज्यादा मुद्दों पर नहीं घेर पाया। इस सत्र में हमेशा की तरह वन मंत्री राकेश पठानिया (Rakesh Pathania) और शहरी विकास मंत्री सुरेश भारद्वाज ज्यादातर मसलों पर विपक्ष पर हमलावर नजर आए। विपक्ष ने सरकार को घेरने के लिए पहले ही दिन अविश्वास प्रस्ताव को नोटिस दिया। इस पर मचे हंगामे के बाद विधानसभा अध्यक्ष ने 11 अगस्त को इस प्रस्ताव पर चर्चा की अनुमति दी और सदन के दूसरे दिन इस मसले पर सदन में कई बार विपक्ष और सत्ता पक्ष के मंत्रियों में तीखी बहस हुई।
चार दिन के मानसून सत्र में दो बार वॉक-आउट
हिमाचल विधानसभा के चार दिन चले सत्र में विपक्ष ने दो बार वॉक-आउट किया। पहली बार सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पर सीएम के जवाब से असंतुष्ट विपक्ष ने सदन से वॉक आउट किया। दूसरी बार आज प्रश्नकाल के स्थगन प्रस्ताव और ओपीएस पर चर्चा नहीं होने पर भी विपक्ष सदन से नारेबाजी करते हुए बाहर चला गया।
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