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अनुबंध की अवधि को भी नियमित सेवाकाल में गिने जाने के दिए आदेश
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (State High Court) ने नियमितिकरण के मामले में अपना महत्वपूर्ण फैसला सुनाया है। इस संबंध में चंबा जिले के रहने वाले कैलाश चंद (Kailash Chand) की दायर याचिका को स्वीकार कर फैसला सुनाया गया है। इस संबंध में न्यायाधीश सत्येन वैद्य (Judge Satyen Vaidya) ने कहा कि यदि अनुबंध नियुक्ति 89 दिन हेतु की गई थी उसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। विभाग को आदेश दिए गए हैं कि वह याचिकाकर्ता की अनुबंध अवधि (contract period) को भी नियमिति करण में शामिल करे। इसके साथ सेवाकाल से जुड़े सभी लाभ भी याचिकाकर्ता को देने होंगे। चंबा निवासी कैलाश को वर्ष 2005 में अनुबंध आधार अप्वाइंट किया गया था। वहीं उसकी सेवाओं को वर्ष 2015 में नियमित किया गया था।
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वहीं चंबा निवासी कैलाश ने याचिकाकर्ता के रूप में दलील दी है कि वह आठ साल पूरे होने पर नियमितिकरण का अधिकार रखता है। इस संबंधित विभाग का कहना था कि उसे महज 89 दिन के लिए ही अनुबंध पर नियुक्त किया गया था। हर साल अनुबंध का नवीनीकरण किया गया और यह प्रक्रिया वर्ष 2008 तक चलती रही। तत्पश्चात याचिकाकर्ता के अनुबंध का नवीनीकरण (renewal of contract) वार्षिक आधार पर किया गया। इसी आधार पर वर्ष 2008 में उसकी सेवा के आठ साल पूरा होने पर वर्ष 2015 में उसे नियमित किया गया। इस अदालत ने निर्णय दिया कि वर्ष 2008 से पहले और बाद के अनुबंध की शर्ताें में कोई अंतर नहीं है।
चंबा के कैलाश ने 2008 के बाद नई चयन प्रोसेस में भाग नहीं लिया था। उसकी पोस्ट में भी कोई चेंज नहीं किया गया। उसे निश्चित चयन प्रक्रिया के तहत रिक्त पद पर तैनात किया गया था। वहीं अदालत ने निर्णय दिया है कि याचिकाकर्ता के अनुबंध का नवीनीकरण 89 दिन के बाद किया जाना था तो इसका यह अर्थ नहीं कि इस समय के दौरान उसे नियमितीकरण के लिए नजरअंदाज ही कर दिया जाए।
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