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बचपन में बेचते थे चाय, अब हैं IAS अधिकारी, 3 बार क्रैक की UPSC परीक्षा
यूपीएससी की परीक्षा में सफल होना कोई बच्चों का खेल नहीं हैं। इस परीक्षा में सफलता हासिल करने के लिए युवाओं को दिन-रात मेहनत करनी पड़ती है। अपनी मेहनत और लगन की वजह से अपने पिता के साथ चाय बेचने वाले हिमांशु गुप्ता (Himanshu Gupta) यूपीएससी की परीक्षा देकर आईएएस अधिकारी बने। बेहद गरीब परिवार से आने वाले हिमांशु का बचपन आम बच्चों की तरह नहीं था।
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हिमांशु के पिता पहले दिहाड़ी मजदूरी का काम किया करते थे, लेकिन बाद में वह चाय बेचने का काम करने लगे। पिता के चाय बेचने के काम में हिमांशु भी उनकी मदद किया करते थे। स्कूल की छुट्टी के बाद हिमांशु अपने पिता के चाय के ठेले पर हाथ बटाया करते थे। हिमांशु बताते हैं कि जब उन्होंने उंगली पर लोगों को पैसा ना गिन पाते देखा तब उन्हें शिक्षा का महत्व समझ आया और फिर उन्होंने ठान लिया कि वे पढ़ाई से अपनी जिंदगी और किस्मत बदलेंगे।
दुकानदार हैं पिता
हिमांशु के पिता ने चाय की दुकान के बाद जनरल स्टोर की दुकान खोल ली, जो की आज भी है। आईएएस हिमांशु गुप्ता के पिता दुकानदार हैं।
छोटे से गांव में है घर
उत्तर प्रदेश के बरेली में एक छोटे से गांव सिरॉली के रहने वाले हिमांशु गुप्ता टीवी पर बड़े और सफल लोगों की जीवनशैली देखकर बहुत प्रभावित होते थे। हिमांशु चाहते थे कि एक दिन वो खुद ऐसी जिंदगी का हिस्सा बन पाएं, लेकिन हिमांशु गुप्ता का बचपन काफी कठिनाइयों से भरा रहा था।
ऐसे की पढ़ाई
हिमांशु के घर से उनके स्कूल की दूरी करीब 35 किलोमीटर थी। हिमांशु अपनी शुरुआती पढ़ाई के लिए 70 किलोमीटर की दूरी रोजाना तय किया करते थे और फिर स्कूल के बाद वह अपने पिता के साथ चाय बेचने के काम में हाथ बटाया करते थे। 12वीं कक्षा की पढ़ाई करने के बाद हिमांशु आगे की पढ़ाई करने के लिए दिल्ली के हिंदू कॉलेज में चले गए। यह पहला मौका था जब वह किसी मेट्रो सिटी में पहुंचे थे। हिमांशु के 12वीं के अंक अच्छे होने के चलते उन्हें दिल्ली यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिल गई।
पढ़ाई के लिए किए कई काम
हिमांशु गुप्ता दिल्ली आने के बाद से आगे की पढ़ाई करने के लिए पैसों की समस्या हल करने के लिए पढ़ाई के साथ बहुत से और काम किए। उन्होंने ट्यूशन पढ़ाई, पेड ब्लॉग्स लिखे और जहां-जहां संभव हुआ स्कॉलरशिप्स हासिल की और अपनी शिक्षा पूरी की।
3 बार पास की UGC-NET की परीक्षा
हिमांशु गुप्ता ने ग्रेजुएशन के बाद एमएससी की और उन्होंने इस दौरान पूरे तीन बार यूजीसी नेट की परीक्षा पास की। उन्होंने गेट (GATE) परीक्षा में भी सिंग्ल डिजिट रैंक लाया और अपने कॉलेज में टॉप किया।
विदेश जाने का मिला मौका
लगातार सफलता हासिल करने के बाद हिमांशु का आत्मविश्वास काफी बढ़ गया और उन्हें लगने लगा कि वे इससे भी बड़ा कुछ हासिल करने की क्षमता रखते हैं। इसी दौरान उन्हें विदेश जाकर पीएचडी करने के मौके भी मिले, लेकिन उन्होंने अपने देश और खासतौर पर अपने माता-पिता के पास रहना चुना। यही मौका था जब हिमांशु ने बड़ी गंभीरता से सिविल सर्विसेस के बारे में सोचना शुरू किया।
नहीं ली कोचिंग
हिमांशु ने पैसे की कमी के चलते बिना कोचिंग के यूपीएससी की तैयारी की और इसमें वह सफल हुए। हांलाकि, पहले प्रयास में वह फेल हो गए, क्योंकि उस वक्त उन्हें अपने और परिवार के लिए पैसों की बेहद जरूरत थी। इस दौरान हिमांशु जेआरएफ लिया और एमफिल करने लगे, जिससे उनको आर्थिक मदद मिलने लगी, लेकिन सिविल सर्विस और रिसर्च के बीच पढ़ाई के लिए समय निकाल पाना हिमांशु के लिए बेहद मुश्किल था।
ऐसे हुए सफल
शुरुआत में मिली निराशा के बावजूद हिमांशु गुप्ता ने अपने इरादे नहीं बदले। साल 2019, मार्च में हिमांशु गुप्ता ने अपनी थीसेस पूरा किया और एक महीने बाद अप्रैल 2019 में उनका सिविल सर्विसेस का रिजल्ट आ गया, जिसमें हिमांशु चयनित हो गए। वहीं, साल 2018 की परीक्षा जिसका रिजल्ट 2019 में आया, उसमें हिमांशु ने 304 रैंक हासिल किया। जिसके बाद हिमांशु और उनके परिवार की खुशी का कोई ठिकाना नहीं रहा। उन्होंने सिविल सेवा परीक्षा (UPSC CSE) पास की और पहली बार में उन्हें भारतीय रेलवे यातायात सेवा (IRTS) कैडर मिला। दूसरे प्रयास में वह आईपीएस बने और आखिर में आईएएस बनकर ही माने।
सफलता की ट्रिक
हिमांशु कहते हैं कि अगर आपके सपने बड़े हैं तो आप जिंदगी में किसी भी मुकाम पर पहुंच सकते हैं। हिमांशु का कहना है कि अपने सपनों को पूरा करने के लिए ये मायने नहीं रखता कि आप किस जगह से हो या किस स्कूल से आपने अपनी पढ़ाई की है और ना ही ये मायने रखता है कि आपकती आर्थित स्थिति क्या है। हिमांशु का कहना है कि सपने सचमुच सच होते हैं। आप सपने देखें, मेहनत करें और खुद पर विश्वास रखें। उनका कहना है कि आपकी जॉब आपको एक से दूसरे कैरियर में ले जाएगी, लेकिन आपके सपने आपको कहीं भी ले जा सकते हैं।