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हिमाचल: गुहार लगा रहे टैक्सी ऑपरेटर, कोरोना काल में काम ठप हो गया है सरकार
शिमला। कोरोना (Corona) ने बीते दो साल से आर्थिकी के पहिए को तोड़ कर रख दिया है। कोरोना के पहले झटके से लोग ऊभर ही रहे थे कि दूसरे झटके ने अर्थव्यवस्था (Economy) को पाताल में पहुंचा दिया। इसका सबसे अधिक असर दिहाड़ी का काम करने वाले लोगों पर पड़ा। वहीं, अब कोरोना की दूसरी लहर थम गई है। 164 दिन बाद पहली बार देश में सबसे कम मामले दर्ज किए गए हैं। वहीं, उद्योग धंधे भी चालू होने लगे हैं। पर्यटन उद्योग (Tourism Industry) भी धीरे-धीरे जोर पकड़ रहा है। लेकिन पर्यटन उद्योग से जुड़ा एक तबका हिमाचल सरकार (Himachal Government) से गुहार लगा रहा है।
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टैक्स माफ करने की मांग
कोरोना काल में टैक्सी ऑपरेटर (Taxi Operators) का काम पूरी तरह ठप हो गया। गुजर बसर करना मुश्किल हो गया है। जिसके चलते जॉइंट टैक्सी यूनियन वेलफेयर कमेटी शिमला ने हिमाचल सरकार से पिछले दो सालों का टोकन टैक्स और पैसेंजर टैक्स माफ करने की मांग की है। यूनियन के महासचिव संदीप कंवर ने बताया कि शिमला शहर में पिछले कई सालों से सरकार द्वारा टैक्सी यूनियनों में प्रीपेड बूथ लगाने की योजना चल रही है, लेकिन 3 साल बीत जाने के बाद भी अभी तक इस बारे में कोई रूपरेखा सरकार और प्रशासन द्वारा तैयार नहीं किया गया है।
परमिट अवधि बढ़ाए सरकार
उन्होंने कहा कि कोरोना काल में टैक्सी चालकों का काम बिलकुल ठप पड़ गया। ऐसे में खाने के लाले पड़ रहे हैं तो हम सरकार को टैक्स कहां से दे पाएंगे। उन्होंने कहा कि सरकार टैक्सी गाड़ियों का 2 साल का टोकन टैक्स और पैसेंजर टैक्स माफ किया जाए। उन्होंने कहा कि कोरोना काल में सभी टैक्सी पूर्ण रूप से खड़ी रही हैं, इसलिए सरकार द्वारा कम से कम 5 साल टैक्सी का परमिट बढ़ाया जाना चाहिए। इसके अलावा उन्होंने मांग की है कि नया मोटर व्हीकल एक्ट लागू होने के बाद चालान की दरें बहुत अधिक मात्रा में बढ़ चुकी है। सरकार द्वारा जुर्माने की राशि को कम किया जाना चाहिए। उन्होंने मांग की है कि गाड़ियों के लिए टैक्सी स्टैंड का निर्माण किया जाए और पार्किंग की उचित व्यवस्था की जाए।
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