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हिमाचल: इस 3 साल के बच्चे से मिलो, गूगल की नहीं पड़ेगी जरूरत; इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज है नाम
देहरा (कांगड़ा)। हिमाचल के कांगड़ा (Kangra) जिला का एक नन्हा बच्चा गूगल (Google) से कम नहीं हैं। यह बच्चा सामान्य ज्ञान की बहुत सी चीजों के लिए गूगल का काम करता है। इस बच्चे की इसी प्रतिभा के चलते उसका नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हो चुका है। उसे हाल ही में इंडिया बुक ऑफ़ रिकॉर्डस का प्रमाणपत्र भी हासिल हुआ है। यह बच्चा कांगड़ा जिले के देहरा (Dehra) उपमंडल के तहत आते बनखंडी के कल्लर गांव का है। इस बच्चे ने छोटी सी उम्र में ही अपना नाम इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड ( India Book of Records) में दर्ज करवाकर बच्चे के परिवार वालों के साथ-साथ पूरे क्षेत्र के ग्रामीणों में काफी खुशी का माहौल है। इस नन्हे बच्चे ने जो इतनी छोटी उम्र वर्ष में कर दिखाया है उसे कर दिखाना बड़ों बड़ों के बस की बात भी नहीं है।
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बनखंडी के इस बच्चे की हर कोई दिल खोलकर तारीफ कर रहा है। बनखंडी के अंकुश पठानिया और रिशु परमार के पुत्र हर्षिल पठानिया का नाम महज 3 वर्ष की आयु में इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्डस में दर्ज किया गया है। यह प्रतिभाशाली बच्चा हर्षिल पठानिया सामान्य ज्ञान की बहुत सी चीज़ों के लिए गूगल का काम करता है। क्षेत्र के लोगों की माने तो हर्षिल पठानिया ने अपने परिवार के साथ-साथ पूरे गांव और जिले का नाम भी रोशन कर दिया है। हर्षिल पठानिया के माता-पिता ने बताया कि हर्षिल की क्षमताओं ने उन्हें ना केवल स्थानीय स्तर पर नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई है।
बच्चे को इन चीजों का है ज्ञान
बताया जा रहा है कि हर्षिल सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी, राष्ट्रीय गान और लेखक का नाम, राष्ट्रीय चिन्ह, दुनिया के सात अजूबों के नाम, सप्ताह और महीनों के नाम, ग्रह और बोने ग्रहों के नाम, राष्ट्रीय मिशन वेदों के नाम, महासागरों के नाम, ऐतिहासिक भवनों के नाम, भारत के सभी राज्यों की राजधानियां, केंद्रीय शासित राज्यों के नाम व उनकी राजधानियां, इंटरनेट लोगो, 185 देशों की राजधानियां, विश्व के 195 देशों के झंडे और 31 आईलैंड के झंडों की पहचान, 30 कार कंपनी लोगो, विश्व स्मारक, पक्षियों के नाम, जानवरों, आकृतियों, वाहनों, रंगों, सब्जियों, फलों, शरीर के अंगों की पहचान, घरेलू उपकरणों के नाम, व्यवसाय, शारीरिक क्रियाओं के नाम, भारत और विश्व के नक्शे की पहचान कर सकता है। वह भारत के मानचित्र को समझता है। सभी भारतीय राज्यों और उनकी राजधानियां उसे जुबानी याद हैं। हर्षिल पठानिया की माता रिशु परमार ने बताया कि हर्षिल को एक बार पढ़ने से ही सब याद हो जाता है।
मां ने खेल-खेल में सिखाया
हर्षिल के पिता अंकुश पठानिया ने बताया कि उन्हें अपने बेटे की शानदार उपलब्धियों पर गर्व है। उन्होंने कहा कि हर्षिल की मां ने ही उसे यह कुछ सिखाया है। उन्होंने हर्षिल की कामयाबी का सारा श्रेय उसकी मां को दिया। उनका कहना था कि उसकी मां बच्चे को यह सब सिखाने में मदद करती है। उन्होंने हर्षिल पर अपना सारा ध्यान दिया और प्यार व खेल-खेल में उसे यह सब कुछ सिखाया है और साथ में घर का कार्य भी करती है।
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