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चिंतपूर्णी मंदिर के लिए बनने वाले रोपवे से बढ़ेगा पर्यटन कारोबार, श्रद्धालुओं को मिलेगी सुविधा
शिमला। प्रदेश सरकार हिमाचल में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा(Tourism) देने के लिए ठोस कदम उठा रही है। विशेषतौर पर राज्य में स्थित शक्तिपीठों में आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) व अन्य पर्यटकों (Tourists) को सभी सुविधाएं उपलब्ध करवाने के साथ ही इन स्थलों तक पहुंच आसान बनाने के लिए आधारभूत संरचना विकसित करने पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है। ऊना जिला में स्थित विश्व विख्यात चिंतपूर्णी मंदिर के लिए रोपवे निर्माण (RopeWay for Chintpurni Temple) पर 76.50 करोड़ रुपये का प्राक्कलन तैयार किया गया है।
प्रदेश सरकार त्वरित कदम उठा रही
लगभग 1.1 किलोमीटर लंबे इस रोप-वे का कार्य (Work of Ropeway) निर्धारित समयावधि में पूरा करने के लिए प्रदेश सरकार (State Govt.) त्वरित कदम उठा रही है। इस अत्याधुनिक परिवहन प्रणाली से दोनों ओर प्रति घंटा 700 यात्रियों की आवाजाही सुनिश्चित होगी। साथ ही यहां आने वाले पर्यटकों व श्रद्धालुओं को एक नया यात्रा अनुभव भी होगा।
हिमाचल के शक्तिपीठों में प्रमुख चिंतपूर्णी मंदिर
सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhvinder Singh Sukhu) इस परियोजना की अहमियत के दृष्टिगत इस पर विशेष बल दे रहे हैं। उनका मानना है कि चिंतपूर्णी मंदिर का ऐतिहासिक एवं अध्यात्मिक दृष्टि से काफी महत्व है। हिमाचल प्रदेश में स्थित शक्तिपीठों में इसका प्रमुख स्थान है। वर्तमान में इस मंदिर को बाबा माईदास भवन पार्किंग क्षेत्र से सिंगल लेन सड़क से जोड़ा गया है। नवरात्रों सहित अन्य धार्मिक आयोजनों के दौरान भारी भीड़ और यातायात जाम इत्यादि जैसी समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है। इन समस्याओं के समाधान के दृष्टिगत रोप-वे की परिकल्पना एक महत्वपूर्ण कदम है। यह प्रदेश सरकार की धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देने की नीति के भी अनुकूल है।
भीड़ नियंत्रण में सुविधा होगी
चिंतपूर्णी मंदिर में इस रोप-वे प्रणाली के स्थापित होने से भीड़ नियंत्रण में सुविधा होगी और श्रद्धालुओं को सुरक्षित एवं सुगम मार्ग भी उपलब्ध हो सकेगा। इस महत्वाकांक्षी परियोजना से क्षेत्र में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इस पवित्र स्थल तक लोगों की यात्रा आरामदायक (Comfortable) होगी। इसके साथ ही देश के मुख्य धार्मिक स्थलों में भी यह प्रमुखता से शामिल हो सकेगा।
धार्मिक पर्यटन की महत्वपूर्ण भूमिका
सीएम का कहना है कि प्रदेश सरकार ने हिमाचल (Himachal) में प्रतिवर्ष 5 करोड़ पर्यटकों के आगमन का लक्ष्य निर्धारित किया है। इस लक्ष्य को हासिल करने में धार्मिक पर्यटन (Religious Tourism) की महत्वपूर्ण भूमिका है। हिमाचल प्रदेश देवभूमि के नाम से भी विख्यात है और यहां के प्राचीन मंदिर व शक्तिपीठों में लाखों की संख्या में श्रद्धालु शीश नवाने पहुंचते हैं। इसी के दृष्टिगत राज्य सरकार ने इन शक्तिपीठों व अन्य धार्मिक स्थलों में आधारभूत ढांचे के विकास को विशेष प्राथमिकता प्रदान की है।
रोजगार व स्वरोजगार के अवसर होंगे उपलब्ध
श्रद्धालुओं की यात्रा को आरामदायक बनाने के दृष्टिगत प्रदेश सरकार ठोस कदम उठा रही है। चूंकि पर्यटन प्रदेश की आर्थिकी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐसे में प्रदेश सरकार के इन प्रयासों से स्थानीय युवाओं के रोजगार व स्वरोजगार के अवसर भी उपलब्ध हो सकेंगे।