- Advertisement -
देहरादून। लंबे असमंजस के बाद आखिरकार सरकार पहली जुलाई से चारधाम यात्रा (Char dham Yatra) शुरू करने को तैयार हो गई है। राज्य के भीतर एक जिले से दूसरे जिले में लोगों को चारधाम के दर्शन की सीमित संख्या में ही अनुमति दी जाएगी। उत्तराखंड चारधाम देवस्थानम बोर्ड के सीईओ रविनाथ रमन ने बताया कि अभी राज्य के भीतर के लोगों को ही मंजूरी दी जा रही है। इसके लिए लोगों को संबंधित धाम के जिला प्रशासन से मंजूरी लेनी होगी। इसके लिए तीनों जिला प्रशासन वेबसाइट जारी कर देंगे। स्थानीय प्रशासन से यात्रा पास जारी होने के बाद ही लोग यात्रा कर सकेंगे। अभी तक धामों से जुड़े जिलों उत्तरकाशी, रुद्रप्रयाग, चमोली के भीतर के ही स्थानीय लोगों को ही मंजूरी दी गई थी। बद्रीनाथ धाम (Badrinath Dham) में तो पूरे जिले को भी मंजूरी नहीं थी। हालांकि अभी राज्य के कंटेनमेंट जोन वाले क्षेत्र के लोगों को धामों में दर्शन की अनुमति नहीं होगी। राज्य के लोगों को अपने स्थानीय निवासी का प्रमाण के रूप में आईडी दिखानी होगी। क्वारंटाइन किए गए लोगों को भी धाम में जाने की मंजूरी नहीं होगी। राज्य से बाहर के लोगों को किसी भी तरह की मंजूरी नहीं मिलेगी। चारधाम में लोगों को बेहद सीमित संख्या में प्रवेश (Entry) दिया जाएगा। बदरीनाथ धाम में 1200, केदारनाथ 800, गंगोत्री 600, यमुनोत्री में 400 लोगों को ही प्रवेश दिया जाएगा। अभी भी जिलों के भीतर स्थानीय लोगों के दर्शन करने की संख्या बहुत कम रही है। नौ जून से अभी केदारनाथ धाम पहुंचने वालों की संख्या 57, बदरीनाथ धाम में 213 लोग ही दर्शन को पहुंचे जबकि गंगोत्री व यमनोत्री तो कोई पहुंचा ही नहीं।
इसी बीच चार धाम देवस्थानम बोर्ड के एक जुलाई से यात्रा शुरू करने का तीर्थ पुरोहित महापंचायत ने विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने सरकार पर तीर्थ पुरोहितों को विश्वास में लिए बिना ही फैसला लेने का आरोप लगाया। महापंचायत का तर्क है कि अभी चारों धामों में धरातल पर किसी प्रकार की कोई व्यवस्था (Arrangement) नहीं है। ऐसे में सितंबर से पहले यात्रा को शुरू ना किया जाए। महापंचायत के पदाधिकारियों का कहना है कि सरकार ने साफ किया था कि 30 जून के बाद की स्थितियों को लेकर तीर्थ पुरोहितों से पहले बात होगी। उनका पक्ष लिया जाएगा, उसके बाद ही कोई अंतिम फैसला होगा। इसके बावजूद सरकार ने सीधे ही अपने स्तर पर फैसला ले लिया है। महापंचायत के महासचिव हरीश डिमरी ने कहा कि क्या चारों धामों में स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। क्या सरकार कोविड 19 को लेकर केंद्र सरकार की तय गाइड लाइन का पालन कराने की स्थिति में है।
इन लोगों का कहना है कि यहां ना डॉक्टर हैं, ना ही फार्मासिस्ट। गौरीकुंड से केदारनाथ और जानकी चट्टी से यमुनोत्री तक पैदल मार्ग में डंडी कंडी, घोड़ा खच्चर समेत रहने और खाने की कोई व्यवस्था नहीं है। ऐसे में सरकार किस आधार पर यात्रा शुरू करने की बात कर रही है। लोगों ने अभी तक अपने घरों, होटल, लॉज, धर्मशालाओं तक की मरम्मत, रखरखाव नहीं किया है। ऐसे में कैसे यात्रा शुरू होगी। श्री पांच मंदिर समिति गंगोत्री धाम के अध्यक्ष सुरेश सेमवाल का कहना है कि बेहतर यही होगा कि सरकार दो महीने का इंतजार करे। सितंबर शुरू होने पर यदि कोरोना संक्रमण की स्थिति सुधरती है, तो यात्रा शुरू करने पर विचार करे। फिलहाज मौजूदा हालात यात्रा शुरू किए जाने के लिहाज से बेहतर नहीं हैं। श्री केदार सभा के अध्यक्ष विनोद शुक्ला ने कहा कि यात्रा शुरू नहीं की जानी चाहिए। इससे यात्रा मार्ग से जुड़े गांवों में संक्रमण का खतरा बढ़ेगा। यात्रा मार्ग पर अभी कोई व्यवस्था नहीं है। लोग भी यात्रा को पूरी तरह तैयार नहीं है। केदार सभा इसका विरोध करेगी।
- Advertisement -