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कोरोना (Corona) की दो लहरों ने लोगों की आर्थिक कमर ही तोड़ दी है और अब तीसरी लहर (Third Waves) ने उनकी और मुश्किलें बढ़ा दी है। कोरोना ने जहां लोगों से नौकरियों छिन लीं, वहीं दाने-दाने के लिए भी लोग मोहताज कर दिया था। वहीं, कोरोना ने अमीरों को और अमीर और गरीबों की हालात और पतली कर दी है। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत (India) में अमीरों की संख्या बढ़ी है।
गैर सरकारी संगठन ऑक्सफैम इंडिया (NGO Oxfam India) की एक रिपोर्ट के अनुसार, 2021 में जहां भारत में 84 प्रतिशत परिवारों की आय में गिरावट आई, वहीं भारतीय अरबपतियों की संख्या 102 से बढ़कर 142 हो गई। आज वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम 2022 का पहला दिन है। इस मौके पर ऑक्सफैम इंडिया की तरफ से वार्षिक असमानता सर्वे जारी किया गया है। इसके अनुसारए कोरोना काल में भारतीय अरबपतियों की कुल संपत्ति दोगुनी हो गई। इनकी अमीरी का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि टॉप-10 अमीरों के पास इतनी दौलत है कि वे देश के सभी स्कूलों (School)और कॉलेजों को अगले 25 सालों तक चला सकते हैं।
कोरोना के कारण असमानता इतनी बढ़ गई है कि देश के सबसे अमीर 10% लोगों के पास देश की 45% दौलत है। वहीं, देश की 50% गरीब आबादी के पास महज 6% दौलत है। रिपोर्ट में कहा गया कि भारत के टॉप 10% अमीर लोगों पर अगर 1% एडिशनल टैक्स लगाया जाए तो उस पैसे से देश को 17.7 लाख एक्स्ट्रा ऑक्सीजन सिलेंडर मिल जाएंगे। वहीं, देश के 98 अमीर परिवारों पर अगर 1% एक्स्ट्रा टैक्स (Extra Tax) लगाया जाए तो उस पैसे से आयुष्मान भारत प्रोग्राम को अगले सात सालों तक चलाया जा सकता है। आयुष्मान भारत दुनिया का सबसे बड़ा हेल्थ इंश्योरेंस प्रोग्राम है।
इस आर्थिक असमानता रिपोर्ट के मुताबिक देश के 142 अरबपतियों की कुल दौलत 719 बिलियन डॉलर, यानी 53 लाख करोड़ रुपए है। 98 सबसे अमीर लोगों के पास 55.5 करोड़ गरीब लोगों के बराबर दौलत है। यह करीब 657 बिलियन डॉलर, यानी 49 लाख करोड़ रुपए होती है। इन 98 परिवारों की कुल दौलत भारत सरकार के टोटल बजट का करीब 41% है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि अगर भारत के टॉप-10 अमीर रोजाना आधार पर 1 मिलियन डॉलर, यानी 7.4 करोड़ रुपए खर्च करें तो भी उनकी दौलत को खर्च होने में 84 साल लग जाएंगे। वहीं, अगर देश के अमीरों पर वेल्थ टैक्स (Wealth Tax) लगाया जाए तो 78.3 बिलियन डॉलर, यानी 5.8 लाख करोड़ रुपए कलेक्ट किए जा सकते हैं। इस पैसे से सरकार का हेल्थ बजट 271% बढ़ सकता है।
जेंडर की बात करें तो कोरोना काल में 28% महिलाओं ने अपनी जॉब (Job) गंवाई। इससे उनकी कुल कमाई दो तिहाई घट गई। महिलाओं की स्थिति को लेकर कहा गया कि बजट 2021 में सरकार ने मिनिस्ट्री ऑफ वुमन एंड चाइल्ड डेवलपमेंट पर केवल उतना खर्च किया, जितना भारत के बॉटम.10 करोड़पतियों की कुल संपत्ति का आधा भी नहीं है।
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया है कि शिक्षा के लिए सरकार के बजट आबंटन में 6% की कटौती की गई, जबकि सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के लिए बजटीय आबंटन कुल केंद्रीय बजट के 1.5% से घटकर 0.6% हो गया।
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