-
Advertisement
हिमाचल की 6 % आबादी मानसिक तनाव में, अस्पतालों में तैनात होंगे मनोचिकित्सक व काउंसलर
शिमला। हिमाचल प्रदेश की छह फीसदी आबादी मानसिक तनाव (Mental Stress) में है। इसे देखते हुए प्रदेश सरकार ने राज्य में मेंटल हेल्थ पॉलिसी(Mental health policy) को कड़ाई से लागू करने का फैसला लिया है। यह बात स्वास्थ्य मंत्री कर्नल धनीराम शांडिल(Health Minister Colonel Dhaniram Shandil) ने विधानसभा (Himachal Vidhansabha) में कांग्रेस विधायक भवानी सिंह पठानिया द्वारा राज्य में मेंटल हेल्थ को लेकर गैर सरकारी संकल्प दिवस पर लाए गए निजी संकल्प पर हुई चर्चा के जवाब में कही। बाद में मंत्री के जवाब से संतुष्ट भवानी सिंह पठानिया ने अपना संकल्प वापस ले लिया। स्वास्थ्य मंत्री ने इस मौके पर घोषणा की कि प्रदेश सरकार राज्य के सभी 69 आदर्श स्वास्थ्य संस्थानों में मनोचिकित्सक और काउंसलर(Psychiatrists and Counselors) की तैनाती करेगी। उन्होंने टांडा मेडिकल कालेज में स्थित मेंटल हेल्थ अस्पताल को मजबूत करने और यहां सुविधाएं जुटाने की भी बात कही। उन्होंने आधुनिक लाइफ स्टाइल को मानसिक तनाव और नशे की बढ़ती समस्या के लिए जिम्मेदार ठहराया।
नशा निवारण केंद्र खोलने के लिए जमीन तलाशने के निर्देश
हाल ही में सामाजिक न्याय अधिकारिता विभाग की सचिव की अध्यक्षता में सभी डीसी की बैठक हुई। इसमें उपायुक्तों को अपने-अपने जिले में आधुनिक नशा निवारण केंद्र( Drug de-addiction center) खोलने के लिए 30 से 40 बीघा उपयुक्त जमीन तलाशने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इन आदर्श नशा निवारण केंद्रों में 200 से 300 बिस्तरों की व्यवस्था होगी। ये आदर्श नशा निवारण संस्थान केंद्र सरकार के नशा मुक्त भारत अभियान के तहत हर जिले में खोले जाएंगे। उन्होंने कहा कि बढ़ती प्रतिस्पर्धा भी मानसिक रोगों में बढ़ोतरी का एक बड़ा कारण है और प्रदेश सरकार इससे निपटने के लिए केंद्र सरकार के साथ मिलकर काम कर रही है।
आज हर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान
निजी संकल्प पर चर्चा शुरू करते हुए विधायक भवानी सिंह पठानिया ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में मानसिक रूप से परेशान लोगों की सुविधा के लिए आधारभूत ढांचा बनाना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि मौजूदा परिस्थितियों को देखें तो हिमाचल प्रदेश में 15 लाख से ज्यादा लोग मानसिक रूप से पीड़ित होंगे। उन्होंने कहा कि हर कोई व्यक्ति मानसिक रूप से परेशान है और यही कारण है कि सुसाइड (Suicide)भी बढ़ रहे हैं। छात्रों में भी सुसाइड बढ़ रहा है। आज प्रतिस्पर्धा के दौर में युवा वर्ग इस बीमारी से ज्यादा पीड़ित है क्योंकि उन पर खासा दबाव है। उनका कहना था कि समाज में एक सोशल स्टिगमा है कि मानसिक रोग के बारे में बात नहीं करते। डॉक्टर भी पास भी व्यक्ति को नहीं ले जाते कि कहीं समाज में पता चल जाएगा। इसलिए लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है।
मानसिक रूप से बीमार लोगों पर हो सर्वे: डॉ.हंस राज
बीजेपी विधायक डॉ हंसराज (BJP MLA Dr Hansraj) ने कहा कि सभी लोगों को मेंटल हेल्थ ठीक नहीं है क्योंकि इच्छाएं खत्म नहीं होती और सभी लोग उनके पीछे भागते रहते हैं। उन्होंने कहा कि आज स्थिति ऐसी हो गई है कि घर में किसी को एक दूसरे से बात करने का समय नहीं है। माता-पिता दोनों वर्किंग हैं तो और भी ज्यादा दिक्कत है। ऐसे में बच्चों में भी बेहद ज्यादा दबाव है। उन्होंने विधायकों का उदाहरण देते कहा कि वह खुद तनाव में रहते हैं। उन्होंने अपने विधानसभा क्षेत्र के एक स्कूल में लगे एक अध्यापक का उदाहरण देते कहा कि वह विधायकों को खुलेआम अभद्र भाषा का प्रयोग हैं। उन्होंने एक महिला अधिकारी का भी जिक्र करते हुए कहा कि वह हमेशा सेल्फी लेते ही दिखती हैं। उनके बारे में भी आला अधिकारियों को देखना चाहिए कि उनके अफसर क्या कर रहे हैं। हंसराज ने पूर्व सीएम वीरभद्र सिंह (Former CM Virbhadra Singh) को सलाम करते कहा कि उन्होंने विधायकों को अपने समय में आर्थिक तनाव से दूर किया, जिन्हें हमेशा याद रखा जाएगा।
केंद्र के एक्ट को हिमाचल में भी लागू करे सरकार: डॉ. जनक
विधायक डॉ. जनक राज ने इस संकल्प पर कहा कि केन्द्र सरकार ने नेशनल मेंटल हेल्थ (National Mental Health)एक्ट लागू किया है, जिसके तहत मनोरोगियों के लिए अस्पताल बनाने से लेकर उनकी दवाई का प्रबंध भी केन्द्र सरकार करती है। उन्होंने कहा कि इस एक्ट को राज्य में भी लागू किया जाए। उन्होंने सदन में आत्महत्या के आंकड़े रखते कहा कि वर्ष 2020 से 2022 तक 2502 लोगों ने आत्म हत्या की। इसमें 1710 पुरूष व 792 महिलाएं थी। इनमें 28 फीसदी मजदूर, 24 फीसदी घरेलू महिलाएं, 11 फीसदी छात्र, 10 फीसदी प्राइवेट कर्मचारी तथा 4 फीसदी कर्मचारी व अन्य लोग शामिल हैं।