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हिमाचल: जल शक्ति विभाग में नहीं है इलेक्ट्रिकल विंग, सिविल के ठेकेदार ही कर रहे कार्य
धर्मशाला। हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिकल कांट्रेक्टर एसोसिएशन जिला कांगड़ा व जिला चंबा के प्रधान ने जल शक्ति विभाग पर आरोप लगाए हैं। उनका कहना है कि जल शक्ति विभाग में बिना मापदंड के इलेक्ट्रिकल कार्य किए जा रहे हैं, जिस कारण सरकार के राजस्व को हर वर्ष करोड़ों का चूना लग रहा है। उन्होंने कहा बिना मापदंड के कार्य हो रहे हैं और बिना मापदंड के ही इलेक्ट्रिकल कार्यों को आवंटित किया जा रहा है। एसोसिएशन ने सरकार से जल शक्ति विभाग में होने वाले इलेक्ट्रिकल कार्य (पंप हाउस सहित अन्य कार्य) इलेक्ट्रिक ठेकेदार के द्वारा ही कार्य कराए जाने की मांग की है। एसोसिएशन ने कहा कि अगर सरकार ऐसा करने में समर्थ रहती है तो एसोसिएशन हाईकोर्ट का रूख करेगी।
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हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिकल कांटेक्ट एसोसिएशन जिला कांगड़ा-चंबा के उपप्रधान जगजीत राय ने कहा कि जल शक्ति विभाग प्रदेश सरकार के संविधान के नियमों की सरेआम अवहेलना कर रहा है और इससे हर वर्ष प्रदेश सरकार को करोड़ों का नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि प्रदेश जल शक्ति विभाग में इलेक्ट्रिकल विंग नहीं है, जिसके चलते विभाग द्वारा इलेक्ट्रिकल के कार्य भी सिविल के ठेकेदारों से कराए जा रहे हैं, जोकि इंडियन इलेक्ट्रिसिटी एक्ट 2003, रूल्स 45 के नियमों का उल्लंघन है। उन्होंने कहा कि यह कहना समझ से परे है कि जल शक्ति विभाग इलेक्ट्रिकल कार्य की गुणवत्ता व मापदंड किस आधार पर पूरा कर रहा है।
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हिमाचल प्रदेश इलेक्ट्रिकल कांटेक्ट एसोसिएशन जिला कांगड़ा-चंबा के उपप्रधान जगजीत राय ने कहा कि लोक निर्माण विभाग में वर्तमान समय में तीन विंग सिविल, मैकेनिकल व इलेक्ट्रिकल विंग का काम कर रहे हैं। लोक निर्माण विभाग द्वारा इसी के आधार पर कार्यों का आवंटन होता है। उन्होंने बताया कि इलेक्ट्रिकल विंग के लिए सबसे पहले सरकारी ठेकेदारों चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर शिमला से लाइसेंस लेना पड़ता है, जिसके लिए उसे कई मापदंड पूरे करने पड़ते हैं। चीफ इलेक्ट्रिकल इंस्पेक्टर द्वारा जारी किए गए लाइसेंस के आधार पर ही लोक निर्माण विभाग के इलेक्ट्रिकल विंग में रजिस्ट्रेशन होती है और उसी के आधार पर उसे ए, बी, सी व डी का लाइसेंस प्राप्त होता है। उन्होंने बताया कि लोक निर्माण विभाग की रजिस्ट्रेशन पर हिमुडा, कृषि विभाग, मत्स्य विभाग समेत अन्य सरकारी एजेंसियों में मान्यता मिलती है और इलेक्ट्रिकल के कार्य आवंटित किए जाते हैं। उन्होंने बताया कि जल शक्ति विभाग में इलेक्ट्रिकल विंग ना होने के कारण मान्यता प्राप्त इलेक्ट्रिकल ठेकेदार कोई भी कार्य नहीं कर सकते हैं, जबकि जल शक्ति विभाग में सिविल के ही ठेकेदार की रजिस्ट्रेशन होती है और सिविल के ही ठेकेदार कार्य कर रहे हैं।
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