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गीता गोपीनाथ को IMF में मिली बड़ी जिम्मेदारी, पढ़िए उनकी कामयाबी की कहानी
Last Updated on December 4, 2021 by saroj patrwal
नई दिल्ली। भारतीय मूल की दिग्गज अर्थशास्त्री गीता गोपीनाथ (Gita GopiNath) ने एक बार फिर से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है। उन्हें आईएमएफ यानी अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष में नंबर-2 की कुर्सी दी गई है। वे जियोफ्रे ओकामोटो की जगह लेंगी। उन्हें आईएमएफ का फर्स्ट डिप्टी मैनेजिंग डायरेक्टर नियुक्त किया गया है। बता दें कि उनका चीफ इकोनॉमिस्ट पद पर कार्यकाल आगामी जनवरी में खत्म होने वाला था, लेकिन इससे पहले ही उन्हें अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष की तरफ से बड़ी जिम्मेदारी दी गई है।
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बता दें कि भारतीय मूल की अमेरिकी गीता गोपीनाथ का जन्म 8 दिसंबर 1971 को पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता में एक मलयाली परिवार में हुआ था। उनके माता पिता केरल के कन्नूर जिले के निवासी थे। उनकी स्कूली पढ़ाई कर्नाटक के मैसूर के निर्मला कॉन्वेंट स्कूल में हुई थी।
गीता के पिता ने द वीक को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि वे सातवीं क्लास तक पढ़ाई में बिल्कुल अच्छी नहीं थीं। उन्हें बस पासिंग मार्क्स आते थे, लेकिन अचानक सातवीं के बाद उनकी पढ़ाई लिखाई में सुधार आता गया। उन्होंने कहा कि हायर सेकेंडरी आते आते गीता के मार्क्स 90 प्रतिशत तक पहुंच गए। स्कूली शिक्षा के बाद गीता ने मैसूर में महाराजा पीयू कॉलेज से साइंस की पढ़ाई की। मार्क्स बहुत अच्छे थे और वह इंजीनियरिंग या मेडिकल में जा सकती थीं, लेकिन उन्हें अर्थशास्त्र पढ़ना था।
इसलिए उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी की लेडी श्रीराम कॉलेज में दाखिला लिया। वहां से उन्होंने इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स किया। फिर उन्होंने दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से अर्थशास्त्र में एमए किया। इसके बाद वह वाशिंगटन चली गई और वहां की प्रिंसटन यूनिवर्सिटी से 1996-2001 में पीएचडी की।
दुनिया के दिग्गज अर्थशास्त्रियों में शुमार गीता को इंटरनेशनल फाइनेंस और माइक्रो इकोनॉमिक्स संबंधित शोधों के लिए जाना जाता है। साल 2019 में उन्हें प्रवासी भारतीय सम्मान से नवाजा गया था। गीता गोपीनाथ पहली महिला हैं, जो आईएमएफ की चीफ इकोनॉमिस्ट बनीं। उन्होंने कोरोना महामारी के दौर में वैश्विक आर्थिक मंदी दूर करने के लिए असाधारण काम किया। पूरी दुनिया लॉकडाउन से गुजर रही थी, तब उन्होंने दुनिया को आर्थिक मंदी से बाहर निकालने में बड़ी भूमिका निभाई।
आईएमएफ ने गीता गोपीनाथ की भूमिका को रेखांकित किया है। कोरोना महामारी पर कैसे नियंत्रण किया जाए और पूरी दुनिया में वैक्सीनेशन का लक्ष्य पूरा करने की दिशा में कैसे बढ़ा जाए, इसकी योजना बनाने में गीता गोपीनाथ ने काफी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उनके वर्क प्लान पर ही आईएमएफ, वर्ल्ड बैंक, डब्ल्यूटीओ और विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एक साथ मिलकर मल्टीलेटरल टास्क फोर्स तैयार किया था और वैक्सीन निर्माण से लेकर उसके डिस्ट्रिब्यूशन तक की समस्याएं दूर हुईं।
वे अब आईएमएफ की फर्स्ट डिप्टी एमडी बनाए जाने के बाद निगरानी और उससे संबंधित नीतियों का नेतृत्व करेंगी। इसके साथ ही उनके पास अनुसंधान और प्रमुख प्रकाशनों की देखरेख का भी जिम्मा होगा। बता दें कि आईएमएफ का सबसे बड़ा शेयरधारक अमेरिका ही डिप्टी एमडी को नॉमिनेट करता है और इसके बाद आईएमएफ के द्वारा उसकी नियुक्ति की जाती है। गीता गोपीनाथ अगले साल 21 जनवरी से अपने नए जिम्मेदारी को संभालेंगी।
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