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1 जनवरी को क्यों मनाया जाता है नया साल, पढ़ें क्या है इतिहास
New Year: साल 2024 खत्म होने वाला है। दिसंबर महीना खत्म होते ही हम नए साल (New Year) यानी 2025 में प्रवेश करेंगे। दुनिया के तमाम देशों में जनवरी की पहली तारीख को नए साल की शुरुआत की जाती है। पहली जनवरी आते ही लोग एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। हालांकि, सदियों पहले नया साल 1 जनवरी को नहीं मनाया जाता था।
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आज कल जहां नए साल की शुरुआत 1 जनवरी को होती है, वहीं, सदियों पहले नए साल की शुरुआत 25 दिसंबर को होती थी। अलग-अलग देशों में नया सालअलग-अलग दिन पर मनाया जाता था। कई जगहों पर लोग 25 मार्च को नए साल का जश्न मनाते थे, जबकि कई जगहों पर लोग 25 दिसंबर के दिन नया साल सेलिब्रेट करते थे। हालांकि, बाद में 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा। 1 जनवरी को नया साल मनाने की शुरुआत रोम (Rome) से हुई, जहां राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर (Roman Calendar) में बदलाव किया। रोम के शासक जूलियस सीजर ने जाना कि धरती 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है। जिसके बाद 12 महीनों का साल हुआ, जिसमें 365 दिन निर्धारित किए गए। कैलेंडर के आने के बाद से जनवरी की पहली तारीख से नया साल मनाया जाने लगा। जनवरी को पहले जानूस कहा जाता था। जानूस (Janus) रोम के देवता का नाम था, बाद में जानूस को जनवरी कहा जाने लगा।
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सदियों पहले इजाद कैलेंडर में केवल 10 ही महीने ही होते थे, लेकिन बाद में साल में 12 महीने होने लगे। जब साल में 10 महीने हुआ करते थे, तो पूरे साल में 310 दिन ही होते थे। उस समय एक हफ्ते में 8 दिन मनाए जाते थे। जिसमें जानूस के अलावा मार्स (Mars) नाम का एक महीना था। मार्स युद्ध के देवता का नाम है, जो कि बाद में मार्स को मार्च (March) कहा जाने लगा। गौरतलब है कि भारत में भी लोग अलग-अलग दिन नया साल मनाते हैं। पंजाब में बैसाखी यानी 13 अप्रैल को नए साल की शुरुआत की जाती है। जबकि जैन धर्म के अनुयायी दिवाली के अगले दिन नया साल मनाते हैं। सिख अनुयायी नानकशाही के कैलेंडर के अनुसार मार्च में होली के दूसरे दिन से नया साल मनाते हैं।
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