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भारत में यहां बुजुर्गों को मार डालते हैं घर के लोग, यह है वजह
भारत (Bharat) में हमें बचपन से ही घर के बड़े-बुजुर्गों की इज्जत (Respect) करना सिखाया जाता है। हम जानते हैं कि इनसान भले ही बूढ़ा हो जाए मगर उसके अनुभव कभी पुराने नहीं होंगे। मगर हमारे देश में ही एक ऐसी जगह है जहां बुजुर्गों को उनके ही परिवार के लोग मार (Kill) डालते हैं। इस बेहद हैरान करने वाली प्रथा के पीछे विचित्र कारण है। तमिलनाडु (Tamil Nadu) राज्य के दक्षिणी हिस्से में थलाईकूथ (Thalaikooth) नाम की एक प्रथा पिछले काफी वक्त से मानी जा रही है। ये प्रथा जितनी हैरान करने वाली हैए उतनी ही खौफनाक भी है। इस प्रथा के अंतर्गत लोग अपने घर के बुजुर्गों को जान से मार डालते हैं। मगर इस प्रथा के पीछे एक कारण है। हालांकि ये कारण इस प्रथा का समर्थन नहीं कर सकता।
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असाध्य रोग से पीड़ित बुजुर्गों को मार देते हैं लोग
जहां-जहां थलाईकूथल प्रथा का पालन होता है, वहां लोग किसी भी बुजुर्ग को जान से नहीं मारते, बल्कि उन बुजुर्गों (Elderly) को मारा जाता है, जिनकी बीमारी असाध्य है। असाध्य रोग से पीड़ित होने के कारण मौत (Death) की इच्छा रखने वाले किसी व्यक्ति की जान ली जाती है। कई बार परिवार या आस पड़ोस के लोग खुद ही ये फैसला कर लेते हैंए तब जब उन्हें लगता है कि बुजुर्ग अब बेहोशी या कोमा (Coma) की अवस्था में चला गया या फिर बिल्कुल अपनी मौत के मुंह तक वो पहुंच चुका है।
जान से मारने के लिए इन तरीकों का होता है इस्तेमाल
पहला तरीका- इस प्रथा में मौत देने के लिए पहले तेल से बुजुर्ग शख्स को नहलाया जाता है। फिर उसे जबरन कच्चे नारियल (Coconut) का रस पिलाया जाता है। उसके बाद तुलसी का रस और दूध (Milk) पिला दिया जाता है। ऐसा करने के पीछे खास कारण है। तेल से नहलाने के बाद तुरंत ये चीजें पिलाने से शरीर का तापमान 92.93 डिग्री फैरेनहाइट तक चला जाता है जो सामान्य तापमान से काफी कम हो जाता है। ऐसे में शरीर का तंत्र बिगड़ने लगता है और दिल का दौरान पड़ने से मौत हो जाती
दूसरा तरीका- बेहद बीमार और बिस्तर पर पड़े बुजुर्गों को कई बार कड़ी चकली जैसी डिश मुरुक्कू दी जाती है। उसे जानबूझकर उनके गले में डाला जाता है जिससे कड़ी चीज गले में फंस जाए और उसकी दम घुटने से मौत हो जाएं
तीसरा तरीका- एक और तरीका ये होता है कि मिट्टी को पानी में मिलाकर मरते हुए आदमी को पिला दिया जाता है। इससे अधमरे आदमी का पेट खराब हो जाता है और मौत हो जाती है।
गरीबी के चलते लोग अपनाते थे ये तरीका
रिपोर्ट्स के अनुसार जब थलाईकूथल की प्रथा जारी रहती हैए उसी वक्त अंतिम संस्कार (Funeral) की तैयारियां शुरू हो जाती हैं। हैरानी की बात ये है कि इस मामले में पुलिस (Police) केस भी नहीं हो पाता, क्योंकि ये सारी मौतें बुढ़ापे में नेचुरल डेथ की तरह देखी जाती है और डॉक्टर (Doctor) भी डेथ रिपोर्ट पर हस्ताक्षर कर देते हैं। जब चिकित्सा की सुविधा देश में काफी खराब थी, तब इस प्रथा को ज्यादा अपनाया जाता था। उस दौरान गरीब लोग, जिनके पास इलाज के पैसे नहीं होते थे, इस प्रथा का पालन करते थे।
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