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यहां देवी को लगाया जाता है शराब का भोग, मंदिर में लगे हैं चौबीस खंभे
हमारे देश में कई सारे मंदिर हैं। इनमें से कुछ मंदिरों में देवी-देवताओं को भांग, शराब आदि चढ़ाई जाती है। आज हम आपको देवी के ऐसे मंदिर के बारे में बताएंगे, जहां नवरात्र (Navratri) में महाष्टमी के दिन देवी को शराब का भोग लगाया जाता है। यहां कलेक्टर खुद अपने हाथों से उन्हें शराब पिलाते हैं। जिसके बाद फिर नगर पूजा के तहत समस्त देवी-देवताओं को ये भोग चढ़ाया जाता है।
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हम बात कर रहें हैं उज्जैन (Ujjain) के देवी मंदिर की। ये नगर का अति प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिर चौबीस खंभा है। इस मंदिर में महामाया और महालाया दो देवियों की प्रतिमाएं द्वार के दोनों किनारों पर स्थापित हैं। यहां नगर रक्षा के लिए चौबीस खंभे लगे हैं, इसलिए इस मंदिर को चौबीस खंभा दरवाजा कहा जाता है। कहा जाता है कि पहले के समय में यह द्वार श्री महाकालेश्वर मंदिर जाने का मुख्य प्रवेश द्वार रहा होगा, जो कि उत्तर दिशा की और बना हुआ है। वहीं, पहले यहां पाड़ो की बलि दी जाती थी, लेकिन वर्तमान में यहां बलि प्रथा वर्जित है।
बताया जाता है कि सम्राट विक्रमादित्य भी इन देवियों की पूजा-अर्चना किया करते थे। उन्हीं के समय से अष्टमी पर्व पर यहां शासकीय पूजन किए जाने की परंपरा चली आ रही है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में यहां नवरात्र पर्व की अष्टमी पर जागीरदार, जमींदार और इस्तमुरार द्वारा पूजन किया जाता था। वही, परंपरा आज भी जारी है। आज के समय में इस परंपरा को कलेक्टर द्वारा निर्वहन किया जाता है।
बता दें कि देवी माता का ये मंदिर (Temple) महाकालेश्वर मंदिर के पास स्थित है। इस मंदिर में 12वीं शताब्दी का एक शिलालेख लगा था। इस शिलालेख में लिखा था कि अन्हिलपाटन के राजा ने अवंतिका में व्यापार के लिए नागर और चतुवेर्दी व्यापारियों को यहां लाकर बसाया था।