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एक कनाल भूमि से 2 लाख रुपये तक की हो सकती है आय
ऊना। हिमाचल प्रदेश के मैदानी सूखाग्रस्त और गर्म इलाकों के किसानों के लिए ड्रैगन फ्रूट की खेती वरदान साबित हो रही है। बागवानी विभाग द्वारा परीक्षण के आधार पर की गई ड्रैगन फ्रूट की खेती के सफल परिणाम सामने आने के बाद अब इसे व्यवसायिक रूप से अपनाने और किसानों को इसके लिए प्रेरित करने का अभियान शुरू किया गया है। ड्रैगन फ्रूट की खेती की खास बात यह है कि इसका पौधा 12 से 15 महीनों के भीतर फल देने लगता है और करीब 1 कनाल भूमि में ड्रैगन फ्रूट की खेती किसानों को करीब दो लाख रुपए सालाना की आय का स्त्रोत बन सकती है। बागवानी विभाग द्वारा जिला भर में प्रति कनाल की दर से करीब 42 बगीचे ड्रैगन फ्रूट के तैयार किए गए जिनमें 3696 पौधे रोपित किए गए हैं। किसानों के लिए सुखद यह भी है कि प्रति कनाल बनाया गया बगीचा पूरी तरह से विभाग ने तैयार करके किसानों को दिया है जिसमें एक लाख रुपये तक की राशि का खर्च विभाग द्वारा वहन किया गया है।
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जिला ऊना में सबसे पहले अंब उपमंडल में दो किसानों द्वारा ड्रैगन फ्रूट की खेती की पहल की गई थी, इन किसानों की खेती सफल होती देख बागवानी विभाग ने इसे अन्य किसानों तक पहुंचाने का जिम्मा उठाया जिसके तहत जिला ऊना में करीब 42 बगीचे ड्रैगन फ्रूट के तैयार किए गए हैं इन सभी बागीचे को तैयार करने में प्रति बगीचा एक लाख रुपए तक का खर्च विभाग द्वारा उठाया गया है।
बागवानी विभाग के उपनिदेशक डॉ अशोक धीमान का कहना है कि परंपरागत खेती के साथ-साथ किसानों को छोटे यूनिट के तौर पर ड्रैगन फ्रूट की खेती भी शुरू करनी चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती से हर किसान प्रति साल 2 लाख रुपये तक की आय अर्जित कर सकता है। उन्होंने कहा कि परीक्षण सफल रहने के बाद अवश्य व्यवसायिक रूप से शुरू करने के लिए भी मैकेनिज्म तैयार किया जा रहा है। डॉक्टर अशोक धीमान ने बागवानों से आह्वान किया कि ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए वैज्ञानिक ढंग से ही पौधारोपण किया जाए और उसके लिए बागवानी विभाग के अधिकारियों से जरूर मदद ली जाए।