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नोटबंदी पर केंद्र सरकार का फैसला सही, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई मुहर
Last Updated on January 2, 2023 by Neha Raina
केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले को सुप्रीम कोर्ट ने सही ठहराया है। इसके साथ ही कोर्ट ने सभी 58 याचिकाएं ख़ारिज करते हुए सरकार को क्लीन चिट दे दी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आर्थिक फैसले को पलटा नहीं जा सकता। साथ ही कोर्ट ने कहा कि सरकार और आरबीआई के बीच छह महीने तक बातचीत हुई थी। न्यायमूर्ति एस. ए. नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ इस मामले पर फैसला सुनाया।
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केंद्र ने याचिकाओं के जवाब में सुप्रीम कोर्ट से कहा कि जाली नोटों, बेहिसाब धन और आतंकवाद जैसी गतिविधियों से लड़ने के लिए नोटबंदी का कदम उठाना पड़ा। नोटबंदी को अन्य सभी संबंधित आर्थिक नीतिगत उपायों से अलग करके नहीं देखा जाना चाहिए या इसकी जांच नहीं की जानी चाहिए। आर्थिक व्यवस्था को पहुंचे बहुत बड़े लाभ और लोगों को एक बार हुई तकलीफ की तुलना नहीं की जा सकती। नोटबंदी ने नकली करंसी को सिस्टम से काफी हद तक बाहर कर दिया। नोटबंदी से डिजिटल अर्थव्यवस्था को लाभ पहुंचा है। सरकार ने नवंबर 2016 में 500 रुपये और 1,000 रुपये के नोटों को बंद कर दिया गया था।
न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर की अध्यक्षता वाली पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने याचिकाकर्ताओं, केंद्र और भारतीय रिजर्व बैंक (फइक) की विस्तृत दलीलें सुनने के बाद 7 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था। याचिकाकर्ताओं ने अपनी दलीलों में तर्क दिया था कि आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 26 (2) में नोटबंदी की निर्धारित प्रक्रिया का पालन नहीं किया गया था। एक याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता पी चिदंबरम ने तर्क दिया कि अधिनियम के अनुसार सिफारिश आरबीआई की ओर की जानी चाहिए थी। लेकिन इस मामले में सरकार ने केंद्रीय बैंक को सलाह दी थी, जिसके बाद उसने सिफारिश की। उन्होंने कहा कि जब पहले की सरकारों ने 1946 और 1978 में नोटबंदी की थी, तो उन्होंने संसद द्वारा बनाए गए कानून के जरिए ऐसा किया था।