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सुख के मंत्री जनता का कर रहे नुकसान-विश्वसनीयता भी खो रहे
धर्मशाला। बीजेपी प्रदेश सह मीडिया प्रभारी संजय शर्मा (BJP state co-media incharge Sanjay Sharma) ने कहा वर्तमान सुखविंद्र सुक्खू सरकार के कुछ मंत्री अपनी प्रतिदिन की कार्यशैली से जहां प्रदेश की जनता का नुकसान कर रहे हैं वहीं अपनी विश्वसनीयता को समाप्त कर रहे हैं। चौधरी चंद्र कुमार, जगत सिंह नेगी और विक्रमादित्य सिंह इसी प्रकार की हरकतों में लगे हुए हैं। बीजेपी नेता ने कहा कि विक्रमादित्य सिंह एक दिन 1000 करोड़ की मांग करते हैं, दूसरे दिन 10 हजार करोड़ और तीसरे दिन 20 हजार करोड़ की मांग करते हैं। या तो उन्हें 1000 करोड़ और 20 हजार करोड़ में अंतर समझ नहीं आता या तो वो मीडिया में छाये रहने के लिए कुछ न कुछ बोलना चाहते हैं, बीजेपी नेता ने कहा कि 2643 करोड़ रुपए नरेन्द्र मोदी की सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय से हिमाचल प्रदेश की सरकार को प्राप्त हुआ जिसके लिए पहले चरण में विक्रमादित्य केन्द्रीय मंत्री के साथ फोटो खिंचवाकर उक्त राशि के लिए उनका धन्यवाद किया। बाद में कह दिया कि यह पैसा हमने पिछले साल मांगा था। शायद वह भूल गए हैं कि पिछले साल हिमाचल प्रदेश में बीजेपी की सरकार थी, उनकी नहीं।
चंद्र कुमार ने सुख की सरकार की सच्चाई सामने रखी
संजय शर्मा ने कहा कि केन्द्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने जब एनएचएआई के माध्यम से सड़कों के पुनर्निर्माण करने की घोषणा की तो उन्होंने उनका आभार व्यक्त किया और बाद में अपनी बात से पीछे हट गए। हिमाचल प्रदेश की प्रबुद्ध जनता अब यह जान चुकी है कि ये आए दिन नया बयान देकर सुर्खियों में रहना चाहते हैं और जनता से इन्हें कोई लेना.देना नहीं है। कृषि मंत्री चंद्र कुमार ने पिछले दिनों धर्मशाला में आयोजित एक प्रेस वार्ता में स्वयं यह माना की सरकार ने अभी तक प्रदेश में मात्र 165 करोड़ रुपए की सहायता पूरे प्रदेश में की है, उस सरकार की गंभीरता के ऊपर भी प्रश्न चिन्ह लगता है और यह भी साबित होता है की प्रदेश सरकार लोगों को राहत पहुंचाने में नाकाम साबित हो रही है। जबकि केंद्र सरकार की ओर से नकदी के तौर पर अलग.अलग मदों से 862 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार को राहत के तौर पर दिया जा चुका है। चंद्र कुमार ने सुख की सरकार की सच्चाई जनता के सामने लाकर के रख दी है।
शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश में भेदभाव
जहां सुख सरकार आपदा के समय में राहत पहुंचाने में असफल हो रही है वहीं शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश में भेदभाव कर रही है जिस तरह मंडी में विश्वविद्यालय का दायरा घटाने का काम हो रहा है इस तरह केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के निर्माण कार्य पर भी अड़ंगा डाल रही है पिछले दो महीने से पर्यावरण मंत्रालय से मंजूरी मिलने के बावजूद 30 करोड़ रूपया प्रदेश सरकार ने जो वन मंत्रालय को जमा करवाना है इसकी मंजूरी नहीं दी जा रही है इससे यह साबित होता है की सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी प्रदेश की जनता के साथ खिलवाड़ कर रही है और प्रदेश के मंत्री प्रदेश के हितों की बात उठाने में नाकाम साबित हो रहे हैं।