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हिमाचल हाईकोर्ट ने पत्नी की हत्या के दोषी की सजा बरकरार रखी
Last Updated on September 23, 2023 by Soumitra Roy
शिमला। पत्नी की हत्या के दोषी को निचली अदालत से सुनाई गई उम्रकैद की सजा को हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal Pradesh High Court) ने भी बरकरार रखा है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने सिरमौर निवासी शुपा राम की अपील को खारिज कर दिया है। अदालत ने कहा कि हत्या के जुर्म के लिए निचली अदालत ने साक्ष्यों के आधार पर सही निर्णय सुनाया है। सत्र न्यायाधीश सिरमौर के निर्णय को हाईकोर्ट के समक्ष अपील के माध्यम से चुनौती दी गई थी। सेशंस कोर्ट (Sessions Court) ने शुपा राम को पत्नी की हत्या करने के जुर्म के लिए दोषी ठहराया था। इस जुर्म के लिए अदालत ने उसे उम्र कैद और 10 हजार रुपये का जुर्माना लगाया था।
यह है पूरा मामला
शुपा राम की शादी सत्या देवी से हुई थी। उनके पांच बच्चे थे, जो अपने चाचा के साथ गांव जाखल में रहते थे। 19 मई 2015 को उनका बड़ा बेटा उनसे मिलने आया। सत्या देवी ने अपने बेटे से कहा पति के मारपीट की घटना बताई। मामला सुलझ जाने के बाद तीनों ने एक साथ खाना खाया। सुबह शुपा राम ने अपने बेटे को कहा कि अपने चाचा से कुछ पैसों का इंतजाम कर, ताकि सत्या देवी की चिकित्सा जांच की जा सके। सुबह साढ़े छह बजे उनका बेटा पैसों का इंतजाम करने के लिए अपने चाचा के घर चला गया। लेकिन उसका चाचा उसे रास्ते में ही मिल गया। उसके बाद दोनों वापिस लौट आए। उन्होंने देखा कि सत्या देवी घर के बाहर लहुलुहान पड़ी थी। दोनों ने उसे उठाया और रसोई में ले गए। लेकिन तब तक वह मर चुकी थी। उसके बाद दोनों ने देखा कि शुपाराम सोया हुआ था। बेटे ने पुलिस को सारी बात बताई और शुपा राम के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 302 के तहत मामला दर्ज किया गया। अभियोजन पक्ष की ओर से पेश किए गए गवाहों और बयानों के आधार पर विचारण अदालत ने शुपा राम को उम्रकैद (Convict Shupa Ram Awarded Life Term) की सजा सुनाई थी, जिसे हाईकोर्ट ने बरकरार रखा।
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