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IIT मंडी का कमाल: इस तकनीक से लगेगा पुल, इमारत और रोप-वे की क्षति का पता
मंडी। भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी (आईआईटी) ने उन्नत कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और सिग्नल प्रोसेसिंग तकनीक बनाई है, जिससे पुलों, इमारतों और रोप-वे व अन्य संरचनाओं की संरचनात्मक स्थिति व उनकी क्षति का सटीक पूर्वानुमान लगाया जा सकता है। इसके लिए संस्थान ने फ्रांस में आईएनआरआईए के साथ साझेदारी की है। इन अध्ययनों के निष्कर्ष को हाल ही में मैकेनिकल सिस्टम्स एंड सिग्नल प्रोसेसिंग और न्यूरल कंप्यूटिंग एंड एप्लीकेशन पत्रिकाओं में प्रकाशित किया गया है। इस शोध को स्कूल ऑफ सिविल एंड एनवायर्नमेंटल इंजीनियरिंग के एसोसिएट प्रोफेसर डा. सुभमोय सेन और उनके शोधार्थी डॉ. स्मृति शर्मा, ईश्वर कुंचम और आईआईटी मंडी की नेहा असवाल के साथ फ्रांस के आईएनआरआईए रेनेस के डॉ. लॉरेंट मेवेल के सहयोग से तैयार किया गया है। संस्थान का मानना है कि पुल भारत के बुनियादी ढांचे में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं और देशभर में इनकी संख्या लगभग 13,500 है। यह संरचनाएं तापमान में परिवर्तन और पानी और हवा जैसे पर्यावरणीय कारकों के कारण प्राकृतिक रूप से पुरानी हो जाती हैं और कई बार अचानक क्षतिग्रस्त होकर तबाही का कारण बनते हैं।
आईआईटी मंडी के वैज्ञानिकों ने तैयार किया रियल टाइम एआई एल्गोरिदम
आज के दौर में अधिक यातायात ने इसे और बढ़ा दिया है। ऐसे में परंपरागत रूप से पुल की स्थिति का आकलन दृश्य निरीक्षण के माध्यम से किया जाता है जोकि एक अधिक समय लेने वाली और पुरानी पद्धति है। जिससे कई बार तो क्षति का पता लगाने में नाकामी ही मिलती है। मगर इस शोध ने संरचनाओं के संरचनात्मक स्थिति की निगरानी के साथ उसके दोषों की पहचान करना, मापना, समझना और यहां तक कि इससे संबंधित भविष्यवाणी को भी आसान बना दिया है। इसके अतिरिक्त यह नवीनीकरण या मरम्मत कार्य के लिए अधिक प्रभावी योजना बनाने में लोगों को सक्षम बनाता है। साथ ही इससे रखरखाव लागत भी कम होती है और पुलों के जीवनकाल और उपलब्धता को भी बढ़ाती है। आईआईटी मंडी की शोध टीम ने डीप लर्निंग (डीएल)-आधारित एसएचएम दृष्टिकोण विकसित किया है। उनके एआई एल्गोरिदम मानव हस्तक्षेप के बिना रिकॉर्ड की गई पर्यावरणीय गतिविधियों का विश्लेषण करके संरचनात्मक क्षति की पहचान कर सकते हैं।
क्षेत्र में होने वाली आपदा के नुकसान के आकलन में मिलेगी मदद
आईआईटी मंडी के डॉ. सुभमोय सेन ने कहा कि एक पुल की स्थिति का अनुमान लगाने और उसके शेष उपयोगी समय की भविष्यवाणी करने के लिए मशीन लर्निंग, एआई और बायेसियन सांख्यिकीय अनुमान जैसे डाटा-संचालित तरीकों को तैयार किया है। इस तरह से पुष्ट की गई तकनीक शुरुआत में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने क्षति का पता लगाने में एल्गोरिदम की क्षमताओं का आकलन करने के लिए इसका परीक्षण एक क्षतिग्रस्त पुल पर किया। इसके बाद उन्होंने क्षति के स्थान को इंगित करने में एल्गोरिदम की सटीकता का मूल्यांकन करने के लिए जानबूझकर कंप्यूटर मॉडल में क्षति को इंगित किया। तत्पश्चात इस परीक्षण के माध्यम से संरचनात्मक क्षति की पहचान करने में एल्गोरिदम की प्रभावशीलता की पुष्टि हुई। इससे संबंधित एक अन्य अध्ययन में शोधकर्ताओं ने विभिन्न संरचनात्मक घटकों की स्थिति का अनुमान लगाने के लिए उनके कनेक्शन के प्रत्यक्ष माप की आवश्यकता के बिना उन्नत फ़िल्टरिंग तकनीकों का उपयोग किया। इस बारे में आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं का कहना है कि इन एआई-आधारित एल्गोरिदम का प्रयोग केवल पुलों तक ही सीमित नहीं हैं बल्कि इसका उपयोग रोपवे, इमारतों, एयरोस्पेस संरचनाओं, ट्रांसमिशन टावरों और समय-समय पर स्थिति मूल्यांकन और सुरक्षा उपायों की आवश्यकता वाले विभिन्न बुनियादी ढांचों की संरचनाओं में भी किया जा सकता है।