अब दुश्मनों के रडार की नजर से बचे रहेंगे देश के सैन्य उपकरण, IIT मंडी का दावा

आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया आर्टिफिशियल मटेरियल

अब दुश्मनों के रडार की नजर से बचे रहेंगे देश के सैन्य उपकरण, IIT मंडी का दावा

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मंडी। अब दुश्मन देशों के रडार (Radar) की नजर से हमारे सैन्य उपकरण (Military Equipment) बच सकते हैं। यह दावा भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान मंडी के शोधकर्ताओं ने किया है। दरअसल शोधकर्ताओं ने ऐसा आर्टिफिशियल मटेरियल (Artificial Material) तैयार किया है जो हमारे खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया ठिकानों को दुश्मनों के रडार की नजरों से बचा सकता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह मटेरियल रडार फ्रीक्वेंसी (सिग्नल) की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करने में सक्षम है। चाहे रडार के सिग्नल जिस दिशा से उनके टारगेट को निशाना बनाएं। इसका उपयोग खुफिया सैन्य वाहनों और खुफिया सैन्य ठिकानों की खिड़कियों व कांच के पैनलों को सुरक्षा कवच देने के लिए भी किया जा सकता है।


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आईआईटी मंडी के शोधकर्ताओं (Researchers from IIT Mandi) के अनुसार इस शोध से रक्षा क्षेत्र के हित में रडार एब्जॉर्ब करने वाली सामग्री विकसित करने में अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी और सामग्रियों की अहमियत बढेगी। इस शोध कार्य के निष्कर्ष आईईईई लेटर्स ऑन इलेक्ट्रोमैग्नेटिक कम्पैटिबिलिटी प्रैक्टिस एंड एप्लीकेशन नामक जर्नल में प्रकाशित किए गए हैं। इसका लेखन डॉ. श्रीकांत रेड्डी, सहायक प्रोफेसर, स्कूल ऑफ कंप्यूटिंग एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग, आईआईटी मंडी और उनकी टीम के डॉ. अवनीश कुमार (प्रथम लेखक) और ज्योति भूषण पाधी ने किया है।

निगरानी और नेविगेशन के लिए होता है रडार का उपयोग

बता दें कि रडार का उपयोग सैन्य और सार्वजनिक क्षेत्रों में भी निगरानी और नेविगेशन (Surveillance and Navigation) के लिए किया जाता है। इससे विमानों, जल जहाजों, जमीन पर चलने वाले वाहनों और गुप्त ठिकानों में होने वाली गतिविधियों का पता चलता है इस तरह निगरानी रखना आसान होता है। रडार की नजरों से बचना सैन्य सुरक्षा की अहम रणनीति है और रडार से बच कर निकलने की क्षमता हो तो दुश्मन के हथियारों का निशाना बनने का खतरा कम हो सकता है। वहीं रडार की नजरों से बचाने की तकनीक व्यावसायिक क्षेत्र की इमारतों से रेडिएशन का खतरा कम करने और उनकी सुरक्षा बढ़ाने में भी उपयोगी हो सकती है।

फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस के आधार पर किया गया है इस टेक्नोलॉजी का विकास

आईआईटी मंडी के डॉ. जी श्रीकांत रेड्डी ने इस शोध के बारे में बताया कि इस टेक्नोलॉजी का विकास फ्रीक्वेंसी सेलेक्टिव सर्फेस (Frequency Selective Surface) (एफएसएस) के आधार पर किया है। जो रडार द्वारा उपयोग किए जाने वाली फ्रीक्वेंसी की बड़ी रेंज को एब्जॉर्ब करती है। जिसके परिणामस्वरूप से यह सर्फेस रडार को नहीं दिखता है। इस डिजाइन में ऑप्टिकली ट्रांस्पेरेंट आईटीओ-कोटेड पीईटी शीट का उपयोग किया गया है। शोधकर्ताओं की टीम ने इस डिजाइन के कई प्रायोगिक अध्ययन किए और प्राप्त परिणाम सैद्धांतिक विश्लेषण के अनुरूप पाए गए जो इसके प्रभावी होने की पुष्टि करते हैं।

ट्रांसपेरेंट गुण की वजह से खिड़कियों या ग्लास पैनलों पर हो सकेगी उपयोग

वहीं डॉ जी श्रीकांत रेड्डी ने यह भी बताया कि यह टेक्नोलॉजी अपने ऑप्टिकली ट्रांसपेरेंट गुण की वजह से गुप्त सैन्य वाहनों और गुप्त प्रतिष्ठानों की खिड़कियों या ग्लास पैनलों पर उपयोग की जा सकती है। इसके एक प्रोटोटाइप का विकास टीम कर चुकी है और शोध के परिणाम आईईई जर्नल में प्रकाशित हैं। यह टेक्नोलॉजी आरसीएस कम करने और रेडिएशन के अवांछित रिसाव को सोखने जैसे कार्यों में उपयोगी होने की संभावना सामने रखती है।

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Tags: | Developed Artificial Material | Avoid Enemy Radar | Navigation | Military Equipment | Himachal News | latest news | IIT Mandi | surveillance | Researchers
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