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हिमाचल में 70 दिन बाद दर्शनों के लिए खुले सभी शक्तिपीठ, जयकारों से गूंज उठे मंदिर
कांगड़ा/बिलासपुर। कोरोना काल में तीन महीने बंद रहे हिमाचल प्रदेश के शक्तिपीठ (Shaktipeeth) आज जयकारों से गूंज उठे। प्रदेश सरकार के आदेशानुसार आज से शक्तिपीठ बज्रेश्वरी, ज्वालामुखी, मां चामुंडा और नैना देवी मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खुल गए हैं। श्रद्धालु मां के दरबार में हाजिरी लगाने सुबह से ही पहुंच गए। श्रद्धालु गर्भगृह तक जाकर दर्शन भी किए। पंजाब, हिमाचल, हरियाणा, दिल्ली और अन्य प्रदेशों से काफी संख्या में श्रद्धालु और विश्व प्रसिद्ध शक्तिपीठ श्री नैना देवी (Shri Naina Devi) के दर्शनों के लिए पहुंचे श्रद्धालुओं का इंतजार भी आज खत्म हुआ और श्रद्धालुओं ने मां का आशीर्वाद प्राप्त किया। मंदिर न्यास श्री नैना देवी में कोविड-19 महामारी के तमाम नियमों की पालना की जा रही है और श्रद्धालुओं को मास्क लगाकर ही मंदिर भेजा जा रहा है। इसके अलावा सिंगल लाइन में श्रद्धालुओं को दर्शन करवाए जा रहे हैं।
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धार्मिक स्थलों में हवन, यज्ञ, कन्या पूजन, कीर्तन, लंगर लगाने पर प्रतिबंध रहेगा। इसके अलावा श्रद्धालुओं को मंदिरों में बैठने, ज्यादा देर खड़े रहने की मनाही है। पुजारी न प्रसाद बांटेंगे और न किसी को मौली बांधेंगे। सरकार के इस फैसले से जहां श्रद्धालु अब तसल्ली से मंदिरों में देवी-देवताओं के दर्शन कर सकेंगे। मंदिरों के खुलने पर पुजारी वर्ग व स्थानीय दुकानदारों ने खुशी जताई है।
मंदिर तो खुल गए हैं लेकिन यहां आने वाले श्रद्धालुओं (Devotees) को सरकार द्वारा जारी कोरोना गाइडलाइन का पालन करना जरूरी होगा। मंदिरों के कपाट खुलने से जहां देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालुओं को मां के दर्शन करने का मौका मिल रहा है, वहीं मंदिरों के बाहर लगने वाली दुकानों (Shops) में भी रौनक लौट आई है। मंदिरों के आसपास समान बेचकर अपने परिवार का पालन पोषण करने वाले दुकानदार काफी समय से मंदी की मार झेल रहे थे आज उनके चेहरे पर भी रौनक लौटी है।
बाबा बालक नाथ मंदिर के कपाट खुलने पर श्रद्धालुओं ने जताई खुशी
हमीरपुर। उत्तरी भारत के प्रसिद्ध सिद्धपीठ दियोटसिद्ध बाबा बालक नाथ मंदिर के कपाट 70 दिन बाद श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए हैं। मंदिर खुलने पर स्थानीय लोगों और श्रद्धालुओं ने खुशी जाहिर की है। बाबा बालक नाथ मंदिर में श्रद्धालुओं के लिए उचित सामाजिक दूरी के अलावा बीमारी से बचाव के लिए थर्मल स्क्रीनिंग हैंड सैनिटाइजर का इस्तेमाल किया गया है साथ ही मंदिर में श्रद्धालु 15 मिनट से ज्यादा का समय नहीं लगा सकते हैं। मंदिर में रोट इत्यादि प्रसाद ले जाने के लिए पूर्णतया मनाई है । पुरुष भी चबूतरे से ही बाबा जी पिंडी के दर्शन कर रहे हैं। वही मंदिर प्रशासन के द्वारा मंदिर के अंदर करीब 10 से 15 मिनट के भीतर श्रद्धालुओं को मंदिर के बाहर भेजा जा रहा है। मंदिर में प्रवेश करने से पहले श्रद्धालुओं का थर्मल स्क्रीनिंग स्वास्थ्य विभाग के द्वारा की जा रही है। मंदिर में लंगर पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
श्रद्धालुओं को केवल पावन पिंडी के ही दर्शन का मिलेगा मौका
ऊना। कोरोना वायरस के चलते ठप हुई व्यवस्थाओं के तहत प्रदेश भर के धार्मिक स्थलों के कपाट आज करीब 70 दिन के अर्से के बाद खोले गए। इसी के चलते उत्तर भारत के प्रसिद्ध धार्मिक स्थल माता चिंतपूर्णी का दरबार भी श्रद्धालुओं के लिए गुरुवार को ही खुल पाया। हालांकि इस दौरान भी श्रद्धालुओं को केवल मां की पवित्र पिंडी के दर्शन करने का ही अवसर मिल पाएगा। मंदिर में होने वाले हवन-यज्ञ, लंगर-भंडारे, जगराता-कीर्तन और सत्संग आदि पर पूरी तरह से प्रतिबंध रहेगा। जिसके चलते श्रद्धालुओं को मां की पावन पिंडी के दर्शन करने के साथ ही मंदिर परिसर छोड़ना होगा। वीरवार को प्रशासनिक आदेशों के अनुरूप मंदिर न्यास के अधिकारियों ने सुबह 7:00 बजे मंदिर के कपाट खोले। वीरवार को मां की पावन पिंडी के दर्शन करने वाले विभिन्न राज्यों से श्रद्धालु शामिल हुए।