-
Advertisement
फ्री में मिलेगा 5 लाख रुपए तक का बीमा, ATM कार्ड से कर सकते हैं क्लेम
Last Updated on July 30, 2022 by sintu kumar
आजकल ज्यादातर लोग एटीएम कार्ड का इस्तेमाल कर रहे हैं। एटीएम कार्ड (ATM Card) में हमारे पैसे सुरक्षित रहते हैं। हालांकि, बहुत कम लोगों को पता होगा कि एटीएम कार्ड हमारे परिवार की आर्थिक सुरक्षा भी करता है। एटीएम कार्ड से लोगों को पांच लाख रुपए तक का फ्री इंश्योरेंस मिलता है, जिसे वे किसी भी जनहानि में क्लेम कर सकते हैं। आज हम आपको एटीएम कार्ड से इंश्योरेंस क्लेम करने का तरीका बताएंगे।
यह भी पढ़ें- 1 अगस्त से बढ़ सकते हैं LPG के दाम, इन नियमों में भी होगा बदलाव
भारतीय रिजर्व बैंक के नियमों के अनुसार, जो व्यक्ति कम से कम 45 दिन पहले से किसी राष्ट्रीयकृत या गैर राष्ट्रीयकृत बैंक का एटीएम कार्ड इस्तेमाल कर रहा हो, वे इस इंश्योरेंस का हकदार बन जाता है। इस इंश्योरेंस की राशि एटीएम कार्ड की कैटेगरी पर निर्भर करती है।
गौरतलब है कि अलग-अलग बैंक द्वारा अलग-अलग एटीएम कार्ड जारी किए जाते हैं। इनमें क्लासिक (Classic), प्लेटिनम और सामान्य एटीएम कार्ड शामिल हैं। बता दें कि क्लासिक एटीएम कार्ड पर एक लाख रुपए, वीजा कार्ड पर डेढ़ से दो लाख रुपए, सामान्य मास्टर कार्ड पर 50 हजार रुपए और प्लेटिनम कार्ड पर 5 लाख रुपए इंश्योरेंस मिलता है। इसके अलावा जन-धन योजना के तहत खुले खातों के साथ मिलने वाले रुपए कार्ड पर लोगों को एक से दो लाख रुपए तक का बीमा मिलता है।
अगर एटीएम कार्ड इस्तेमाल करने वाले किसी व्यक्ति के साथ कोई दुर्घटना हो जाती है तो इसका कार्ड की कैटेगरी के हिसाब से उसे बीमा राशि दे दी जाती है। वहीं, अगर दुर्घटना में कोई अपना एक हाथ या पैर गंवा देता है तो उसे 50 हजार रुपए और अगर कोई दोनों हाथ गंवा देते है तो उसे एक लाख रुपए तक बीमा राशि मिलती है। इसके अलावा अगर किसी की मौत हो जाती है तो उसके परिवार को कार्ड के हिसाब से 1 से 5 लाख रुपए तक का इंश्योरेंस मिलता है।
ऐसे करना पड़ता है आवेदन
बता दें कि इंश्योरेंस की धनराशि क्लेम करने के लिए आपको बैंक जाना पड़ता है। इसके लिए एटीएम कार्ड होल्डर या उसके नॉमिनी को बैंक में जाकर एप्लीकेशन देनी पड़ती है। इसके बाद अस्पताल में इलाज का प्रूफ और एफआईआर की कॉपी लगाकर आवेदन किया जाता है। हालांकि, अगर किसी कार्ड धारक की मौत हो गई हो तो मौत की स्थिति में आश्रित का प्रमाण पत्र, एफआईआर की कॉपी, डेथ सर्टिफिकेट (Death Certificate) जैसे कागज लगाने पड़ते हैं। इसके बाद पीड़ित परिवार को क्लेम मिल जाता है।