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तिब्बती धर्मगुरु दलाई लामा को गांधी-मंडेला फाउंडेशन ने दिया शांति पुरस्कार
Last Updated on November 19, 2022 by sintu kumar
पंकज नरयाल, धर्मशाला। तिब्बतियों के सर्वोच्च धर्मगुरु 14वें दलाईलामा (Dalai Lama) को गांधी मंडेला फाउंडेशन (Gandhi Mandela Foundation) ने धर्मशाला में अपना पहला शांति पुरस्कार (Peace Prize) दिया। प्रदेश के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर (Governor Rajendra Vishwanath Arlekar) ने तिब्बती धर्मगुरु को यह सम्मान प्रदान किया। दलाई लामा ने इस पुरस्कार के लिए फाउंडेशन का आभार जताते हुए शुभकामनाएं दी। उन्होंने विश्व में दया, एकता और अहिंसा पर जोर दिया। हिमाचल के राज्यपाल राजेंद्र विश्वनाथ अर्लेकर ने कहा कि गांधी, मंडेला के बाद पूरे विश्व में कोई शांतिदूत है तो वे तिब्बती धर्मगुरु दलाईलामा हैं। राज्यपाल ने कहा कि पूरे विश्व में शांति की जरूरत है, लेकिन हथियार किसी समस्या का हल नहीं है।
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राज्यपाल शनिवार को मैक्लोडगंज में द गांधी मंडेला अवार्ड सेरेमनी में बतौर मुख्यातिथि शिरकत करते हुए बोल रहे थे। राज्यपाल ने कहा कि दलाईलामा को सम्मानित करना और उनका सान्निध्य पाना मेरे के लिए गौरव की बात है।वहीं फाउंडेशन के महासचिव नंदन झा (Foundation General Secretary Nandan Jha) ने कहा कि हम यहां परम पावन दलाई लामा को पहली बार गांधी-मंडेला पुरस्कार से सम्मानित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमने भारत, नेपाल और बांग्लादेश के पूर्व मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता में दुनिया की सबसे बड़ी जूरी बनाई। पूर्व प्रधानमंत्रियों और राष्ट्रपतियों सहित दुनिया भर में 500 से अधिक नामांकन प्राप्त करने के बाद आखिरकार दलाई लामा का चयन वर्ष 2020 में हुआ और वे गांधी मंडेला पुरस्कार 2019 (Gandhi Mandela Award 2019) के विजेता हैं।