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शिमला। किसानों (Farmer) की विभिन्न मांगों को लेकर और न्यूनतम समर्थन मूल्य की कानूनी गारंटी और किसानों के संपूर्ण कर्ज़ मुक्ति के समर्थन में शनिवार को संयुक्त किसान मोर्चा ने शिमला के पंचायत भवन से राजभवन तक रोष मार्च (Protest) निकाला और राज्यपाल (Governor) के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। संविधान दिवस के अवसर पर देश भर के किसान अपने.अपने राज्यों के राज्यपालों के माध्यम से किसानों की समस्याओं का ज्ञापन राष्ट्रपति (President) को भेज रहे हैं। दरअसल, किसान केंद्र सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप लगा रहे हैं और दूसरे चरण के आंदोलन की तैयारी में है। किसान मोर्चा ने राष्ट्रपति को ज्ञापन (Memorandum) भेजकर केंद्र सरकार द्वारा किसानों से किए गए वादों को याद दिलाया।
इस अवसर पर किसान नेता राकेश सिंघा ने कहा कि किसान स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के आधार पर सभी फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य की गारंटीए किसानों की कर्ज माफ़ी, बिजली संशोधन विधेयक- 2022 को वापस लेने, सहित आठ मुख्य मांगे कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा (Sanyukt Kisaan Morcha) ने सरकार को चेतावनी दी है कि यदि सरकार अपने वायदों को पुरा नही करती है, तो किसानों के पास आंदोलन को तेज करने के सिवाय और कोई रास्ता नहीं बचेगा। वहीं किसान सभा के प्रदेशाध्यक्ष डॉ. कुलदीप सिंह तनवर ने बताया कि किसान केंद्र सरकार किसानों से वादाखिलाफी कर रही है। यदि फिर भी मांगे नहीं मानी गई तो किसान दोबारा आंदोलन शुरू करने को मजबूर होंगे।
shimla-Protest.
बता दें कि किसानों ने दिल्ली में तीन कृषि कानूनों के खिलाफ लंबी लड़ाई लड़ी है। किसानों के आंदोलन के बाद ही केंद्र ने 3 कृषि कानून वापस ले लिए थे। इस दौरान कई अन्य मांगों पर भी सहमति बनी थी, लेकिन ज्यादातर पूरी नहीं की गई। इससे किसानों में सरकार के प्रति रोष है। इससे नाराज हिमाचल के विभिन्न किसान संगठन आज शिमला संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले राजभवन के लिए मार्च निकाला।
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