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रेप विक्टिम की गलत जांच के दोषी पालमपुर के डॉक्टरों पर 5 लाख का जुर्माना
Last Updated on January 14, 2024 by Soumitra Roy
विधि संवाददाता/शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने दुष्कर्म पीड़िता की जांच गलत तरीके से करने के मामले में सिविल हॉस्पिटल पालमपुर के डॉक्टरों (Palampur Doctors) पर पांच लाख रुपए का जुर्माना लगाया है। हाईकोर्ट ने इस राशि का भुगतान प्राथमिक तौर पर राज्य सरकार के जरिए पीड़िता (Rape Victim) को करने के आदेश जारी किए हैं। इसकी भरपाई दोषी डॉक्टर से करने को कहा गया है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खण्डपीठ ने अपने निर्णय में कहा कि दुष्कर्म एक महिला के व्यक्तित्व और अंतर्निहित गरिमा पर मानसिक हमला है। यह एक महिला की पवित्रता और समाज की आत्मा के खिलाफ अपराध है। किसी का शारीरिक ढांचा ही उसका मंदिर होता है और उस पर अतिक्रमण का अधिकार किसी को नहीं है।
राज्य सरकार वसूलेगी जुर्माने की रकम
केंद्र सरकार द्वारा जारी दिशा-निर्देशों के अनुसार टू-फिंगर टेस्ट (Two Finger Test), जिसे चिकित्सा शब्द के अनुसार, प्रति-योनि परीक्षा को सख्ती से प्रतिबंधित किया गया है। यह दिशा-निर्देश हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा भी अपनाए गए हैं। यह दिशा-निर्देश पूरे प्रदेश में स्वास्थ्य पेशेवरों पर लागू होते हैं। सिविल अस्पताल पालमपुर में डॉक्टरों के हाथों हुए आघात, शर्मिंदगी, अपमान और उत्पीड़न के लिए भुगतान प्राथमिक तौर पर राज्य सरकार को करना है। उसके बाद दोषी डॉक्टरों से इसे वसूल किया जाएगा।
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जांच के बाद तय करेंगे जिम्मेदारी
हाईकोर्ट ने कहा कि उन सभी डॉक्टरों के खिलाफ जांच की जाएगी, जिन्होंने चिकित्सा सम्बन्धी प्रोफार्मा (Performa) तैयार किया था। उसके बाद जिम्मेदारी तय की जाएगी। उनका भी वित्तीय दायित्व तय किया जाएगा, जिन्होंने पीड़िता की चिकित्सकीय जांच की और संबंधित एमएलसी (MLC) जारी की। केवल यह तथ्य कि डॉक्टर सेवानिवृत्त हो गए हैं, आड़े नहीं आएगा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि दुर्भाग्य से विशेष न्यायाधीश और उस मामले के लिए तैनात जिला अटॉर्नी भी मामले के संचालन में पर्याप्त संवेदनशील नहीं रहे हैं। मामले पर सुनवाई 27.2.2024 को निर्धारित की गई है। उस दिन राज्य सरकार को जांच की रिपोर्ट के साथ-साथ पीड़िता को 5 लाख रुपये के भुगतान की पुष्टि करने वाली रसीद कोर्ट के समक्ष पेश करनी होगी।