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हमीरपुर जिला में परिवारवाद के खिलाफ उतरे चार आजाद प्रत्याशियों ने बिगाड़े बीजेपी-कांग्रेस के समीकरण
Last Updated on November 11, 2022 by sintu kumar
हमीरपुर। हिमाचल में विधानसभा चुनाव (Himachal Vidhan sabha Election) के लिए कल मतदान (Voting) होगा। चुनावी मैदान में राजनीतिक दलों के अलावा निर्दलीय भी अपना भाग्य आजमा रहे हैं। जिला हमीरपुर की बात करें तो यहां पांच सीटों के लिए चुनाव होने हैं। यहां की पांच सीटों पर पहली बार तीन पूर्व मंत्रियों के बेटे राष्ट्रीय पार्टियों के चुनाव चिन्ह पर अपना भाग्य आजमाने और राजनीतिक विरासत संभालने उतरे हैं। वही बड़सर सीट की बात करें तो यहां बीजेपी ने विधायक की पत्नी को चुनावी मैदान में उतारा है। लेकिन यहां परिवारवाद और वंशवाद के खिलाफ खड़े होकर चार आजाद प्रत्याशियों (Four Independent Candidates) ने इन्हे चुनौती देकर समीकरण बिगाड़ दिए हैं। मात्र सुजानपुर सीट पर ही कांग्रेस के राजेंद्र राणा और बीजेपी प्रत्याशी के बीच सीधी टक्कर है। यहां फौजी वोट इन दोनों का भविष्य तय कर सकता है।
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इसी तरह से हमीरपुर सदर सीट पर बीजेपी के दिग्गज नेताओं में शुमार रहे स्वर्गीय ठाकुर जगदेव चंद के बेटे एडवोकेट नरेंद्र ठाकुर बीजेपी (BJP) के उम्मीदवार हैं। इनके खिलाफ कांग्रेस (Congress) ने भी पूर्व मंत्री रणजीत सिंह वर्मा के बेटे डॉक्टर पुष्पिंदर वर्मा को चुनावी रण में उतारा है। वहीं परिवाद और वंशवाद के खिलाफ बीजेपी के बागी नरेश कुमार दर्जी और आजाद उम्मीदवार आशीष शर्मा ने पुष्पिंदर और नरेंद्र को कड़ी टक्कर देकर चुनावी लड़ाई दिलचस्प बना दी है। नरेंद्र ठाकुर को केवल अनुराग और धूमल का सहारा है, हालांकि नरेंद्र ठाकुर स्वयं अनुराग और धूमल के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं। इन सब तथ्यों से यह जरूर कहा जा सकता है कि हमीरपुर सीट (Hamirpur Seat) पर बीजेपी सुखद स्थिति में नहीं है।
भोरंज विधानसभा क्षेत्र (Bhoranj Assembly Constituency) में पूर्व मंत्री स्वर्गीय ईश्वर दास धीमान के बेटे डॉक्टर अनिल धीमान को बीजेपी ने टिकट दिया है। उन्हे सिटिंग विधायक कमलेश कुमारी का टिकट काट कर मैदान में उतारा गया। डॉक्टर अनिल धीमान को भी भोरंज में परिवारवाद और वंशवाद का विरोध झेलना पड़ रहा है। बीजेपी को निर्दलीय पवन कुमार ने कड़ी चुनौती दी हुई है। कांग्रेस के सुरेश कुमार ने भी भोरंज सीट फतह करने के लिए परिवारवाद और वंशवाद को मुद्दा बनाकर बीजेपी को जमकर घेरा है। पवन को भोरंज में डिसाइडिंग फिगर माना जा रहा है। फिलहाल भोरंज सीट भी बीजेपी के लिए फंसी हुई है।
बड़सर सीट (Badsar Seat) पर पूर्व विधायक बलदेव शर्मा की पत्नी माया शर्मा को टिकट मिलने पर बीजेपी से बगावत कर संजीव शर्मा मैदान में हैं। संजीव शर्मा ने बड़सर में परिवारवाद के खिलाफ आवाज उठाई और उन्हे लोगों का खुला समर्थन मिलना शुरू हुआ। दूसरी ओर कांग्रेस के इंद्र दत्त लखनपाल कैडर वोट के साथ साथ दस साल के कार्यकाल में जुटाए व्यक्तिगत वोटों के सहारे तगड़ा मुकाबला कर रहे हैं। कुल मिलाकर बड़सर, हमीरपुर और भोरंज की सीटों पर परिवारवाद की आग में बीजेपी झुलस रही है।