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सरकार चार सार्वजनिक बैंक करेगी प्राइवेट, पढ़ें इन बैंकों में जमा आपके पैसे का क्या होगा
नई दिल्ली। मोदी सरकार ने चार बैंकों को निजी हाथों में ( Bank Privatization) देने के लिए शॉर्टलिस्ट किया है। सरकार इन बैंकों को बेचकर राजस्व कमाना चाहती है, ताकि उस पैसे का उपयोग सरकारी योजनाओं पर हो सके। सरकार ने जिन बैंकों को शॉर्टलिस्ट किया है,उनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (Bank of Maharashtra), बैंक ऑफ इंडिया, इंडियन ओवरसीज बैंक व सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (Central Bank of India) शामिल हैं। अब अगला सवाल ये है कि कहीं आपका खाता इन बैंकों (Bank) में तो नहीं है, अगर है तो वह कितना सेफ है, इसी बारे में हम आपको विस्तार से बताएंगे।
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जानकारी के अनुसार सरकार बैंकिंग सेक्टर (Banking Sector) में प्राइवेटाइजेशन की शुरुआत टू-टायर बैंकों के साथ शुरु करेगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Finance Minister Nirmala Sitharaman) ने केंद्रीय वित्त बजट 2021-22 पेश करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के की प्राइवेटाइजेशन (Privatization) का ऐलान किया था। जिन चार बैंकों की बात हम कर रहे हैं उनमें एक लाख दस हजार से ज्यादा कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। बैंक यूनियनों का अनुमान है कि बैंक ऑफ इंडिया में लगभग 50 हजार कर्मचारी हैं और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में कर्मचारियों की संख्या 33 हजार है। इसके अलावा इंडियन ओवरसीज बैंक में 26 हजार और बैंक ऑफ महाराष्ट्र में लगभग 13 हजार कर्मचारी कार्यरत हैं।
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अधिनियमों में संशोधन
आपको बता दें कि सार्वजनिक क्षेत्रों की प्राइवेटाइजेशन के लिए सरकार को संशोधन करना होगा। इसके लिए सरकार इस साल दो अधिनियमों में संशोधन प्रस्ताव लाएगी। प्राइवेटाइजेशन के लिए बैंकिंग कंपनियां उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण अधिनियम-1970 और बैंकिंग कंपनियां उपक्रमों का अधिग्रहण व हस्तांतरण अधिनियम-1980 में संशोधन करना जरूरी है। सरकार इस साल इनमें संशोधन करेगी।
ग्राहकों के पैसे का क्या होगा
बैंकों के निजीकरण से ग्राहकों के बैंक में जमा पैसे पर कोई फर्क नहीं पड़ेगा। यदि आप बैंकों की प्राइवेटाइजेशन को लेकर अपने पैसे की चिंता कर रहे हैं तो आपको चिंता नहीं करनी है। आपका पैसा पूरी तरह से सुरक्षित है। सरकार का कहना है कि विनिवेश यानी डिसइन्वेस्टमेंट (Disinvestment) के पीछे का मकसद विभिन्न सामाजिक क्षेत्र और विकासात्मक कार्यक्रमों के लिए विनिवेश आय (Disinvestment Income) का इस्तेमाल करना है। केंद्र सरकार के सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों में निजी पूंजी और प्रौद्योगिकी को बढ़ावा देने का मकसद है।