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#HC ने जयराम सरकार को Transfer के लिए निष्पक्ष और पारदर्शी नीति बनाने को कहा; जानें
Last Updated on August 26, 2020 by Deepak
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट (Himachal Pradesh HighCourt) ने राज्य सरकार को आदेश दिए हैं कि वह स्थानांतरण की एक निष्पक्ष और पारदर्शी नीति बनाए जाने बारे उचित कदम उठाए। जस्टिस तरलोक सिंह चौहान और जस्टिस ज्योत्सना रिवाल दुआ की डबल बेंच ने अपने निर्णय में स्पष्ट किया कि राज्य सरकार को ऐसे शिक्षकों को जिनके बच्चों को बोर्ड परीक्षा या एमबीबीएस, एआईईईई (AIEEE) आदि जैसे व्यावसायिक पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा में शामिल होना है। उन्हें ऐसी जगह समायोजित किया जाना चाहिए जहां ऑनलाइन ट्यूशन और कोचिंग क्लासेस की सुविधाएं उपलब्ध हो। यह ना केवल कुछ शिक्षकों के पक्ष में बनाए गए एकाधिकार को समाप्त करेगा, बल्कि समग्र रूप से छात्र समुदाय को लाभ सुनिश्चित करेगा।
यहां जानें क्या था पूरा मामला
स्थानांतरण सम्बंधित मामले पर निर्णय देते हुए बेंच ने स्पष्ट किया कि यदि स्थानांतरण किसी विशेष व्यक्ति को बिना किसी उचित आधार के समायोजित करने के लिए किया जाता है, तो इस प्रकार के स्थानान्तरणों को दुर्भावनापूर्ण करार दिया जा सकता है और सामान्य रूप से इसे रद्द किया जा सकता है। मामले से सम्बंधित रिकॉर्ड का अवलोकन करने के पश्चात् अदालत ने पाया कि प्रार्थी का स्थानांतरण किसी दूसरे व्यक्ति को समायोजित करने के लिए किया गया था। कोर्ट ने पाया कि उक्त स्थानांतरण में प्रशासनिक जरुरत नहीं थी और यह सिर्फ और सिर्फ किसी दूसरे व्यक्ति को समायोजित करने के लिए किया गया था।
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हाईकोर्ट ने पाया कि प्रार्थी अपने स्टेशन पर आपसी सहमती से समायोजित हुई थी। कोर्ट ने पाया कि शिक्षकों द्वारा अपने स्थान पर स्थानांतरण समय पूरा करने और उसके बाद आपसी सहमती द्वारा कृत्रिम रिक्तियां बना कर समायोजित किया जाता है। कोर्ट ने अपने निर्णय में कहा कि इस मामले में किसी भी पक्ष के प्रति उदासीनता व्यक्त करना अन्य शिक्षकों के लिए अन्याय का कारण होगा, जो शिमला और अन्य जिला और तहसील मुख्यालयों में सेवा करने के इच्छुक हैं लेकिन मुख्य रूप से प्रभावशाली शिक्षकों की वजह से विफल हो गए हैं। हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिए कि वह प्रार्थी और प्रतिवादी दोनों को ही उनके गृह जिला के बाहर स्थानांतरित करे। कोर्ट ने राज्य सरकार को आगाह किया कि इन दोनों लोगों का स्थानांतरण करते समय धयान रखा जाए कि इन्हें समायोजित ना किया जाए बल्कि ऐसा स्थानांतरण किया जाए ताकि अन्य शिक्षकों को भी सबक मिले।