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हाईकोर्ट ने रद्द किया डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर, शिमला एमसी चुनाव प्रक्रिया पर रोक
Last Updated on June 3, 2022 by saroj patrwal
हिमाचल हाईकोर्ट ने शिमला नगर निगम (MC) चुनाव से पहले सरकार द्वारा करवाए गए डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर को रद्द कर दिया है। कांग्रेस की नाभा वार्ड से पार्षद सिमी नंदा ने डिलिमिटेशन और आरक्षण रोस्टर को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने प्रार्थी के आरोप को सही पाया है। कोर्ट के इस फैसले के बाद नगर निगम शिमला के चुनाव में अब और भी समय लगेगा। अदालत के आज के आदेश आने के बाद अब चुनाव लंबे समय तक लटकने की संभावनाएं बढ़ गई है। यदि राज्य सरकार दोबारा से डिलिमिटेशन करती है तो इसके लिए कम से कम एक महीने का वक्त लगेगा।हाईकोर्ट ने शिमला के डीसी को पुनर्विचार करने के निर्देश जारी किए हैं।
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शिमला नगर निगम चुनाव अप्रैल में होने थे, दरअसल, डिलिमिटेशन को लेकर हाईकोर्ट में तीन याचिकाएं दायर की गई थी। इनमें दो समरहिल वॉर्ड और एक याचिका नाभा वार्ड के सीमांकन से जुड़ी हुई थी। इसके अलावा एक याचिका समरहिल वॉर्ड रिजर्वेशन रोस्टर को लेकर भी एक याचिका दायर की गई थी। रोस्टर से जुड़ी इस याचिका में समरहिल वॉर्ड को महिलाओं के लिए रिजर्व करने पर आपत्ति दर्ज करवाई गई थी।हाईकोर्ट ने डीलिमिटेशन की याचिका को स्वीकार करते हुए वार्ड नंबर 5 समरहिल और वार्ड नंबर 11 नाभा में किए गए डीलिमिटेशन पर पुनर्विचार करने के आदेश जारी किए हैं। इसके अलावा रोस्टर को लेकर दायर याचिका को खारिज कर दिया गया है। हाईकोर्ट की ओर से सिर्फ वार्ड नंबर 5 और वार्ड नंबर 11 के डीलिमिटेशन पर विचार करने के आदेश जारी किए गए हैं। ऐसे में जाहिर है अब यह सारी प्रक्रिया दोबारा से करनी होगी। यदि सरकार नए वार्डों का गठन करना चाहेगी तो वार्डों के डिलिमिटेशन के पूरी प्रक्रिया दोबारा से करनी होगी। शिमला नगर निगम के मौजूदा पार्षदों का 5 साल का कार्यकाल 18 जून को पूरा हो रहा है।