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हाईकोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब- ग्रामीण -दूरदराज इलाकों में इंटरनेट सेवाओं की ताजा स्थिति बताएं
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट ने ग्रामीण और दूरस्थ क्षेत्रों में नागरिकों को बेहतर व निर्बाधित इंटरनेट नेटवर्क सेवाएं ( Internet network services)प्रदान करने के मुद्दे को लेकर दायर मामले में केंद्र सरकार( Central govt)को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है । कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई के पश्चात यह आदेश पारित किया। याचिका में विशेष रूप से ग्रामीण और पिछड़े क्षेत्रों के निवासियों के लिए इंटरनेट सेवाओं( Internet services) की दुर्दशा का उल्लेख किया गया है। उपरोक्त नोटिस जारी करते हुए न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सीबी बारोवालिया की खंडपीठ ने कहा कि कोविड -19 महामारी के चलते इंटरनेट सेवाओं तक पहुंच का महत्व बढ़ गया है । वर्चुअल प्लेटफॉर्म पर शैक्षिक पाठ्यक्रमों, सम्मेलनों, अदालती कार्यवाही संचालन के लिए पर्याप्त नेटवर्क प्रदान करना समय की मांग है।
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सुनवाई के दौरान कोर्ट को बताया गया कि 7 सितंबर 2020 को गृह मंत्रालय( home Ministry) ने राज्य सरकार को एक पत्र जारी कर यह बताया था कि सभी ग्राम पंचायतों को ब्रॉडबैंड द्वारा नेटवर्क से जोड़ने के लिए भारत नेट मुख्य परियोजना है । इस परियोजना का उद्देश्य ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में नागरिकों और संस्थानों को राज्यों और निजी क्षेत्र के साथ साझेदारी से डिजिटल इंडिया का उद्देश्य पूरा करते हुए किफायती ब्रॉडबैंड सेवाएं प्रदान करना है। इस पत्र में यह भी उल्लेख किया गया था कि केंद्र सरकार द्वारा देश मे भारत नेट परियोजना को सभी ग्राम पंचायतों में ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी से उच्च गति प्रदान करने के लिए कार्यान्वित किया जा रहा है । एक लाख से अधिक ग्राम पंचायतों को जोड़ने के लिए कार्य पहले ही किया जा चुका है और द्वितीय चरण के अंतर्गत शेष पंचायतों को जोड़ा जा रहा है । पत्र में आगे बताया गया कि भारत नेट फेज- I, CSC- ई-गवर्नेंस इंडिया को 5- फाइबर प्रावधान का कार्य सौंपा गया है, ताकि सरकारी संस्थानों में फाइबर से आंगनवाड़ी, स्वास्थ्य व कल्याण केंद्रों, सरकारी स्कूलों ,वितरण प्रणाली, डाकघर और पुलिस स्टेशनो आदि को जोड़ा जा सके। हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार से उपरोक्त पत्र के अनुरूप उठाये गए कदमों की वस्तुस्थिति बाबत जवाब शपथ पत्र न्यायालय के समक्ष दाखिल करने के आदेश जारी किए है।
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