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शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने वाकनाघाट सोलन के प्रवीण शर्मा की रहस्यमई परिस्थियों में हुई मौत की जांच सीबीआई (CBI) को सौंप दी है। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए कि वह अपने पुलिस अधीक्षक के माध्यम से मामले से संबंधित तमाम रिकॉर्ड तुरंत सीबीआई को सौंपे। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने मृतक प्रवीण शर्मा की पत्नी द्वारा दायर याचिका को मंजूर करते हुए सीबीआई को आदेश दिये कि वह भारतीय दंड संहिता की संबंधित धाराओं के अंतर्गत प्राथमिकी दर्ज करे व कानूनों के प्रावधानों के तहत मामले की जांच करें। याचिका में दिए तथ्यों के अनुसार 9 जून, 2020 को प्रार्थी का पति प्रवीण शर्मा शनवारा के समीप अचेत अवस्था में मिला था जिसे बाद में रीजनल हॉस्पिटल राजगढ़ लाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया था।
प्रार्थी के अनुसार उसने पुलिस से इस मामले की गहनता से जांच करने का आग्रह किया था, लेकिन पुलिस ने इस मामले में कोई भी कार्रवाई नहीं की। यही नहीं प्रार्थी ने थाना प्रभारी राजगढ़ व पुलिस अधीक्षक सिरमौर को कई बार पत्र लिखकर इस मामले पर कार्रवाई करने का आग्रह किया था परंतु पुलिस ने इसमें कोई भी कार्रवाई नहीं की। याचिका की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि पुलिस ने इस मामले में कोई भी प्राथमिकी दर्ज नहीं की थी। कोर्ट ने यह अचरज जताया कि जब पुलिस ने इसमें कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की तो पुलिस ने किन परिस्थितियों में इस मामले में जांच की।
कोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान पाया कि पुलिस की संपूर्ण कार्रवाई कानून के विपरीत है। पुलिस ने इसमें कोई डेली डायरी नहीं लिखी तो यह भी उनकी कार्रवाई पर प्रश्नचिन्ह लगाता है। कोर्ट ने इस मामले को लेकर प्रार्थी द्वारा दायर की गई याचिका के तथ्यों से सहमति जताते हुए पाया कि यह एक विशेष परिस्थिति है जिसके तहत मामले की जांच पुलिस से हटाकर सीबीआई को सौंपी जा सकती है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने प्रधान सचिव गृह को यह आदेश जारी है कि वह इस मामले से जुड़े संबंधित पुलिस अधीक्षक सिरमौर , अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी राजगढ़, थाना प्रभारी राजगढ़ एवं श्री अमर दत्त शर्मा प्रभारी पुलिस चौकी यशवंतनगर, के खिलाफ जांच करवाएं। जांच महानिरीक्षक के पद के अधिकारी से जांच करवाई जाए। हाईकोर्ट ने मामले की जांच 31-12-2021 तक पूरी करने के आदेश जारी किए हैं। जांच पूरी करने के पश्चात अनुपालना रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष 5 जनवरी, 2022 तक दाखिल करने के आदेश जारी किए गए हैं।
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