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दो विभिन्न मामलों में हिमाचल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को किया जवाब-तलब
Last Updated on September 27, 2021 by Vishal Rana
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने बीडीसी के बजट शेल्फ को 15वें वित्त आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन करते हुये कथित फेरबदल करने के मामले में प्रदेश के मुख्य सचिव, अतिरिक्त मुख्य सचिव (वित्त), प्रधान सचिव (पंचायती राज), उपायुक्त कुल्लू, खंड विकास अधिकारी आनी एवं खंड विकास कार्यालय आनी के पंचायत निरीक्षक को नोटिस जारी किया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश रवि मलीमठ और न्यायमूर्ति ज्योत्सना रिवाल दुआ की खंडपीठ ने ब्लॉक के पांच सदस्यों द्वारा मुख्य न्यायाधीश को लिखे पत्र पर स्वत संज्ञान लेने वाली याचिका पर ये आदेश पारित किए।
नहीं दे पाए ठोस जवाब
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि 15 वें वित्त आयोग द्वारा खंड विकास समिति के सभी सदस्यों के लिए बजट उपलब्ध कराया गया था और उन्होंने इस संबंध में योजना का शेल्फ तैयार कर अनुमोदन के लिए पंचायत निरीक्षक के पास भेजा।
हालांकि, बीडीसी के अध्यक्ष ने पंचायत निरीक्षक के साथ मिलकर पूरे बजट शेल्फ में फेरबदल किया, जो याचिकाकर्ताओं द्वारा तैयार किया गया था और याचिकाकर्ताओं का हिस्सा अन्य सदस्यों को अपने स्तर पर आवंटित किया गया था। याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि जब इस बाबत स्पष्टीकरण जानना चाहा तो अध्यक्ष कोई ठोस स्पष्टीकरण नहीं दे सका, सिवाय इसके कि सदन के बहुमत द्वारा निर्णय लिया गया था।
15 वें वित्त आयोग के दिशा निर्देश का उल्लंघन
याचिकाकर्ताओं ने आगे आरोप लगाया है कि 15वें वित्त आयोग के दिशा-निर्देशों के अनुसार, बजट को सभी जन प्रतिनिधियों के बीच समान रूप से आवंटित किया जाना है और सदन के अध्यक्ष या बहुमत के निर्णय से कोई फेरबदल नहीं किया जा सकता है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि बीडीसी के अध्यक्ष द्वारा उनके बजट में कटौती करके और उसे अपनी पसंद के सदस्यों को स्थानांतरित करके दिशानिर्देशों का खुले तौर पर उल्लंघन किया गया है।
याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से आग्रह किया है कि अध्यक्ष एवं पंचायत निरीक्षक द्वारा दिशा-निर्देशों का पालन न करने तथा बजट शेल्फ में फेरबदल करने का एकतरफा निर्णय लेने पर उनके विरुद्ध कड़ी कार्रवाई का आदेश दिया जाए। मामले पर दो सप्ताह बाद सुनवाई होगी
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नदी और कुएं हो रहे दूषित
वहीं, हाईकोर्ट ने नालागढ़ के ग्राम माजरा में स्थापित शिवालिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट के कारण आसपास के क्षेत्रों के कुओं और बोरवेलों का पानी दूषित होने पर कड़ा संज्ञान लेते हुए प्रदेश मुख्य सचिव, सदस्य सचिव, राज्य पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और उपायुक्त, सोलन को नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि शिवालिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट गांव मजरा में पंद्रह साल पहले ग्राम पंचायत को गुमराह कर अनापति प्रमाण पत्र हासिल करने के पश्चात स्थापित किया गया था ।
लेकिन, बाद में, जब शिवालिक सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया गया, तो ग्रामीणों को पता चला कि हिमाचल प्रदेश के विभिन्न कारखानों के खतरनाक रासायनिक ठोस जहरीले कचरे को इस प्लांट में लाया जाना है। इस प्लांट में ठोस कूड़े करकट को वैज्ञानिक तरीके से ठिकाने लगाने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया है कि उक्त संयंत्र द्वारा ठोस कूड़े करकट को बिना उचित ढंग के मिट्टी के नीचे ढककर पिछले 15 वर्षों से जमीन में डाला जा रहा है.। समय बीतने के साथ पंचायत मजरा और आसपास के गांवों के प्राकृतिक स्रोतों, कुओं और बोरवेलों का पानी इस संयंत्र के रासायनिक द्रव्य से दूषित पानी के जमीन में रिसने से जहरीला हो गया है और इसके परिणामस्वरूप पानी से दुर्गंध आ रही है।