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हिमाचल हाईकोर्ट ने रोका शिक्षा सचिव और निदेशक का वेतन, जाने क्यों
Last Updated on December 14, 2022 by saroj patrwal
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अनुपालना याचिका के अनुसार प्रार्थीगण निजी महाराजा संसार चंद मेमोरियल डिग्री कॉलेज कांगड़ा में बतौर प्रवक्ता अपनी सेवाएं दे रहे थे। 18 अक्टूबर 2006 को इनकी सेवाओं को राज्य सरकार द्वारा इस कॉलेज को टेकओवर करने के पश्चात अपने अधीन ले लिया था। कॉलेज को टेकओवर करने के पश्चात उन्हें दिए जाने वाले वेतनमान को निम्नतम स्तर पर निर्धारित किया गया। जिसके खिलाफ प्रार्थियों ने तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण के समक्ष याचिका दायर की। तत्कालीन प्रशासनिक प्राधिकरण ने प्रदेश उच्च न्यायालय द्वारा प्रेमलता थापर मामले में दिए गए फैसले के अनुरूप प्रार्थियों को निर्धारित उच्च वेतनमान दिए जाने के आदेश जारी किए थे।
मगर राज्य सरकार उक्त मामले में अपील के लंबित होने के कारण प्रार्थियों को दिए जाने वाले वेतनमान देने में नाकाम रही। अपील पर 30 जून 2022 को फैसला आ गया। लेकिन प्रार्थियों को दिए जाने वाला वेतनमान सरकार की अपील के खारिज होने के पश्चात भी नहीं दिया गया। हाईकोर्ट ने अदालती आदेशों की अवहेलना का मामला पाते हुए 9 दिसंबर को दोनों अधिकारियों के वेतन को रोकने के आदेश पारित किए थे। मगर दोनों अधिकारी मंगलवार के लिए निर्धारित की गई तारीख से पहले पहले प्रार्थियों के वेतनमान से जुड़े वित्तीय लाभों को देने में नाकाम रहे। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों का वेतन कोर्ट की अनुमति के बगैर निकालने पर रोक लगा दी है।