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हाईकोर्ट ने आदेशों में खामी पाते हुए एक और मामला वापस मंडलायुक्त कांगड़ा को भेजा
शिमला। हिमाचल हाईकोर्ट (Himachal High Court ) ने बिना किसी ठोस कारण दिए पारित आदेशों में खामी पाते हुए एक और मामला वापस मंडलायुक्त कांगड़ा (Divisional Commissioner Kangra) को भेज दिया। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश विरेंदर सिंह की खंडपीठ ने मनोहर लाल द्वारा दायर याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि निष्कर्ष पर पहुंचने के लिए मंडलायुक्त ने निचली अदालत के फैसले से सहमति रखने का कोई कारण तक नहीं दिया। इससे पहले कोर्ट ने शशि कुमार और अन्य की याचिका का निपटारा करते हुए मामला पुनः फैसले के लिए मंडलायुक्त कांगड़ा को भेजा था।
कारण बताने में विफलता न्याय से वंचित करने के बराबर
कोर्ट (Court) ने कहा कि उक्त अधिकारी को यह याद दिलाने की जरूरत है कि वह पक्षकारों के मूल्यवान अधिकारों से निपट रहा है और इतने गूढ़ तरीके से वह बिना किसी कारण (Without Recording Any Reasons) को रिकॉर्ड किए फैसला पारित नहीं कर सकता। कारण बताने में विफलता न्याय से वंचित करने के बराबर है। कारण निर्णय लेने वाले के दिमाग का विवाद और निर्णय या निष्कर्ष से सीधा संबंध हैं। कोर्ट ने कहा कि तर्क का अधिकार एक सुदृढ़ न्यायिक प्रणाली का अनिवार्य हिस्सा है। कोर्ट ने कहा कि प्राधिकरण द्वारा पारित आदेश में कारणों का अभाव है। स्पष्ट रूप से यह आदेश के मनमाना होने का संकेत है इसलिए कानूनी रूप से टिकाऊ नही है। प्रदेश उच्च न्यायालय ने मंडलायुक्त के आदेशों को रद्द कर दिया और पुनः मामले पर फैसला पारित करने के आदेश पारित कर दिए।
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