एक लाइन में कैसे चलती हैं चींटियां, यहां जानिए इस सवाल का जवाब

दुनियाभर में पाई जाती हैं चीटियों की 12,000 से ज्यादा प्रजातियां

एक लाइन में कैसे चलती हैं चींटियां, यहां जानिए इस सवाल का जवाब

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घर में आपके हाथ से कहीं कुछ मीठा गिर जाए तो सबसे पहले वहां पहुंच जाता है चींटियों का झुंड। ये चींटियां (Ants) अकेले नहीं एक साथ आती हैं। कई बार आपने लोगों के मुंह से भी चीटियों की एकता और अनुशासन के उदाहरण सुने होंगे। आपने शायद नोटिस किया होगा कि चींटियां हमेशा एक लाइन में चलती हैं। इतना सफर तय करने के बाद भी चींटियां अपना रास्ता नहीं भटकतीं। आपके मन में ये सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर ये सब एक ही लाइन (Line) में कैसे चलती रहती हैं एक भी चींटी यहां से वहां क्यों नहीं जाती। इस सवाल का जवाब हम लाए हैं आपके लिए –


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दुनियाभर में चीटियों की 12,000 से ज्‍यादा प्रजातियां (Species) पाई जाती हैं। कहा जाता है कि चीटियों की साइज महज 2 से 7 मिलीमीटर की होती है, लेकिन उनमें अपने वजन से 20 गुना ज्‍यादा भार उठाने की क्षमता होती है। चीटियां सोती भी नहीं है। खास बात ये है कि चीटियों में किसी भी तरह के गंध पहचाने की क्षमता होती है। उनके एंटीना पर बेहद संवेदनशील ऑल फैक्ट्री रिसेप्टर्स होते हैं और इसी की मदद से उन्‍हें खाना ढूंढने में आसानी होती है।

चीटियों की कॉलोनी में काम करने वाली मजदूर चीटियों का काम होता है कि वे रानी चींटी के लिए खाने का प्रबंध करें। ये चीटियां अपने रिसेप्टर्स की मदद से खाने की खोज में निकलती हैं। जैसे ही उन्‍हें कहीं खाने का पता चलता है तो वे वहां फिरोमोन्स नामक का लिक्विड छोड़ देती हैं। एक अनुमान के मुताबिक, मजदूर चीटियां अपनी कॉलोनी से करीब 100 यार्ड दूर तक खाने को ढूंढने चली जाती हैं।

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चीटियों में एक खास तरह का केमिकल पाया जाता है, जिसका नाम फिरोमोन्स (Pharmones) है। इसी केमिकल की मदद से चीटियां आपस में कम्यूनिकेट करती हैं। जब सबसे आगे चलने वाली चींटी को कोई खतरा महसूस होता है तो वे इसी केमिकल की मदद से दूसरी चीटियों को अलर्ट करती है। ये सीधी लाइन में ही क्यों चलती हैं इसका जवाब ये है कि जब मजदूर चीटियों को किसी तरह के खाने की चीज या दूसरे रिसोर्स के बारे में पता चलता है तो वे वापस आने के लिए फर्मोन्‍स लिक्विड की मदद से वे निशान छोड़ती जाती हैं। इस प्रकार मजदूर चीटियां अपने पीछे आने वाली चींटियों के लिए ऐसे ही निशान छोड़ती जाती है। हर चीटी अपने पीछे आने वाली चींटियों के ये निशान छोड़ती है। इससे उन्‍हें एक साथ चलने में मदद मिलती है और वो एक ही लाइन में बनी रहती हैं।

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