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सजायाफ्ता कैदी को गलत मेडिकल सर्टिफिकेट जारी करने वाले 3 डॉक्टरों को नोटिस
Last Updated on August 31, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने पीजीआई चंडीगढ़ (PGI Chandigarh) के तीन डॉक्टरों को कारण बताओ नोटिस (Show Cause Notice) जारी कर पूछा है कि उन्होंने किन परिस्थितियों में एक सजायाफ्ता कैदी को गलत प्रमाण पत्र जारी किया।
न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश रंजन शर्मा की खंडपीठ ने तीनों डॉक्टरों को निजी शपथपत्र दायर करने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने याचिकाकर्ता दीपराम को 24 घंटे के भीतर आत्मसमर्पण करने को कहा है।
कैदी की अवैध तरीके से की मदद
कोर्ट ने पाया कि नेफ्रोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर राजा रामचन्द्रन, संबंधित वरिष्ठ रेजिडेंट और चिकित्सा अधीक्षक नेहरू अस्पताल पीजीआई चंडीगढ़ ने कैदी की अवैध तरीके से मदद की है। कोर्ट ने प्रमाण पत्र का अवलोकन करने पर पाया कि चिकित्सकों ने कैदी का इलाज करने के 21 दिन बाद से 15 दिनों की छुट्टी की सिफारिश की थी। इसी प्रमाणपत्र को आधार बताकर कैदी ने अपने पैरोल को बढ़ाने की गुहार लगाई थी।
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इसलिए की पैराल बढ़ाने की मांग
प्रार्थी ने कोर्ट को बताया था कि पिछले 14 वर्षों से शिमला की कंडा जेल (Kanda Jail In Shimla) में सजा काट रहा है। प्रार्थी ने 6 अगस्त से 10 अगस्त तक पीजीआई में अपना इलाज करवाया। इस दौरान प्रार्थी पीजीआई में दाखिल रहा। पैरोल खत्म होने के नजदीक प्रार्थी ने जेल प्रशासन को चिकित्सक का प्रमाण पत्र दिखाकर पैरोल की अवधि बढ़ाने की मांग की। इसके बाद प्रार्थी ने कोर्ट के समक्ष पैरोल बढ़ाए जाने (Parole Extension) की गुहार लगाई। अदालत ने पाया कि याचिकाकर्ता को पीजीआई के चिकित्सकों ने एक से 15 सितंबर तक छुट्टी की सिफारिश की है। अदालत ने प्रथम दृष्टतया पाया कि याचिकाकर्ता का इलाज 6 से 10 अगस्त तक किया गया और 10 अगस्त से 31 अगस्त तक कोई छुट्टी की सिफारिश नहीं की गई। पहली सितंबर से 15 दिनों की छुट्टी की सिफारिश इसलिए की गई, क्योंकि याचिकाकर्ता का पैरोल एक सितंबर को खत्म हो रहा था।