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हाईकोर्ट ने HRTC के प्रशिक्षु कंडक्टरों की सेवाएं जारी रखने की याचिकाएं खारिज कीं
Last Updated on June 24, 2023 by sintu kumar
शिमला। हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट (Himachal High Court) ने प्रशिक्षित परिचालकों (Trained Conductors) की सेवाओं को जारी रखने के आग्रह को लेकर दायर याचिकाएं शनिवार को खारिज कर दीं। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान व न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने यह निर्णय सुनाया। सतीश कुमार और बाकियों ने अदालत में 185 याचिकाएं दायर की थीं।
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याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया गया था कि उन्होंने यात्री सेवा वितरण कौशल विकास कार्यक्रम (Skill Development Program) के तहत प्रशिक्षण लिया था। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें कंडक्टर के पद पर तैनात किया गया था। तीन साल के बाद उनकी सेवाओं को बिना नोटिस के समाप्त कर दिया गया था। कुछ प्रशिक्षुओं ने प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (Adminitrative Tribunal) से अंतरिम आदेश प्राप्त किए और अभी तक कंडक्टर के पद पर तैनात है।
समान अवसर दिए बिना नियुक्ति कानून के खिलाफ
कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपने निर्णय में कहा कि HRTC एक सार्वजनिक उपक्रम है और सभी संवर्गो का रोजगार आवश्यक रूप से सार्वजनिक रोजगार में आता है। सार्वजनिक क्षेत्र में सभी पात्र व्यक्तियों को समान अवसर दिए बिना नियुक्ति देना संविधान के प्रावधानों के विपरीत है। मामले से जुड़े रिकॉर्ड के बाद अदालत ने पाया कि HRTC ने याचिकाकर्ताओं को किसी भी रोजगार या पद की पेशकश नहीं की थी। याचिकाकर्ताओं के पास न तो कोई नियुक्ति पत्र है और न ही कोई नियुक्ति की शर्तें। याचिकाकर्ताओं को केवल स्टाफ-गैप व्यवस्था के रूप में नियुक्त किया गया था। कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ताओं को इसका कोई अधिकार नहीं है कि उनकी सेवाओं को जारी रखा जाए। कोर्ट ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने पिछले दरवाजे से प्रवेश सुनिश्चित किया है। इस आधार पर संविधान के अनुच्छेद 14 और 16 के तहत वे समानता का अधिकार पाने के हकदार नहीं है।