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आपको पता है कि गरीब कहलाने के लिए भी रोजाना आमदनी का एक लेबल सैट है। अगर कोई उस खाके में फिट बैठता है तभी गरीब की श्रेणी में आता है,वरना उसे गरीब नहीं माना जाता। इसके लिए वर्ल्ड बैंक मानक सेट करता है। ये लेवल समय-समय पर बदलते भी रहते हैं। अब नए मानक के मुताबिक कोई व्यक्ति प्रतिदिन 167 रूपए से कम कमाता (Earns Less) है तो उसे अत्यंत गरीब (Extremely Poor) माना जाएगा। इससे पहले 147 रुपए कमाने वाले व्यक्ति को अत्यंत गरीब माना जाता था। ये मानक महंगाई, जीवन.यापन के खर्च में वृद्धि समेत कई पहलूओं के आधार को ध्यान में रखकर सेट किए जाते हैं।
वर्ल्ड बैंक (World Bank) यह नया मानक इस साल के अंत तक लागू होगा। साल 2017 की कीमतों का उपयोग करते हुए नई वैश्विक गरीबी रेखा 2.15 डॉलर पर निर्धारित की गई है। इसका मतलब है कि कोई भी व्यक्ति जो 2.15 डॉलर प्रतिदिन से कम पर जीवन यापन करता है, उसे अत्यधिक गरीबी में रहने वाला माना जाता है। 2017 में वैश्विक स्तर पर सिर्फ 70 करोड़ लोग इस स्थिति में थे, लेकिन मौजूदा समय में यह संख्या बढ़ने की आशंका है।
याद रहे कि वैश्विक गरीबी रेखा को समय-समय पर दुनियाभर में कीमतों में बदलाव को दर्शाने के लिए बदला जाता है। अंतरराष्ट्रीय गरीबी रेखा (International Poverty Line Reflects) में वृद्धि दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में 2011 और 2017 के बीच कम आय वाले देशों में बुनियादी भोजन, कपड़े और आवास की जरूरतों में वृद्धि को दर्शाती है। दूसरे शब्दों में 2017 की कीमतों में 2.15 डॉलर का वास्तविक मूल्य वही है जो 2011 की कीमतों में 1.90 डॉलर का था।
भारत की बात करें तो यहां पर बीपीएल (BPL) की स्थिति में साल 2011 की तुलना में 2019 में 12.3% की कमी आई है। इसकी वजह ग्रामीण गरीबी में गिरावट है यानी वहां आमदनी बढ़ी है, ग्रामीण क्षेत्रों में तुलनात्मक रूप से तेज़ से गिरावट के साथ वहां अत्यंत गरीबों की संख्या वर्ष 2019 में आधी घटकर 10.2 प्रतिशत हो गई, जबकि वर्ष 2011 में यह 22.5 प्रतिशत थी। हालांकि, इसमें बीपीएल के लिए विश्व बैंक के 1.90 डॉलर रोजाना कमाई को आधार बनाया गया है।
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